हाल ही में अमेरिका के दो बड़े बैंक दिवालिया हो गए हैं। ऐसे में लोगों के मन में सवाल यह है कि अगर ऐसा भारत में होता है तो ग्राहकों के पैसों का क्या होगा?
Business
oi-Rahul Kumar

अमेरिका
का
बैंकिंग
सेक्टर
बुरी
तरह
से
संकटों
में
घिर
गया
है।
एक
के
बाद
एक
2
बड़े
बैंकों
पर
ताला
लग
गया
है।
पहले
सिलिकॉन
वैली
बैंक
और
फिर
सिग्नेचर
बैंक
डूब
गया।
वहीं
एक
अन्य
यूरोपीय
बैंक
क्रेडिट
सुइस
की
भी
हालत
ठीक
नहीं
है।
लगातार
बैंकों
के
डूबने
के
चलते
दुनियाभर
में
ग्राहक
डरे
हुए
हैं।
वे
अपने
पैसों
को
लेकर
फ्रिकमंद
हैं।
ऐसी
ही
चिंता
भारत
में
भी
लोगों
को
होनी
लाजमी
है।
पिछले
कुछ
सालों
में
पीएमसी
और
लक्ष्मी
विलास
जैसे
बैंकों
के
ग्राहकों
को
मुश्किल
का
सामना
करना
पड़ा
था।
यहीं
देश
में
कई
को-ऑपरेटिव
बैंकों
को
विभिन्न
संकटों
का
सामना
करना
पड़
रहा
है।
इन्हीं
सारी
खबरों
के
बीच
एक
अचानक
से
आता
हैं
कि
फलां
बैंक
डूब
गया।
जिससे
लोगों
के
जीवनभर
की
कमाई
डूब
जाती
है।
लेकिन
भारत
सरकार
ने
ऐसी
स्थिति
से
निपटने
के
लिए
कई
नियम
बनाए
हैं।
इन
नियमों
के
तहत
ग्राहकों
को
एक
तयशुदा
राशि
दी
जाती
है।

ये
हैं
सरकार
के
नए
नियम
केंद्र
सरकार
ने
साल
2020
में
डिपॉजिट
इंश्योरेंस
एंड
क्रेडिट
गारंटी
कॉरपोरेशन
एक्ट
में
बदलाव
किया
था।
इसके
बाद
बैंक
में
जमा
राशि
की
गारंटी
एक
लाख
रुपए
से
बढ़ाकर
पांच
लाख
रुपये
की
गई
थी।
इससे
पहले
बैंक
डूबने
की
स्थिति
में
खाताधारकों
को
अधिकतम
एक
लाख
रुपये
तक
जमा
की
गारंटी
मिलती
थी।
2020
में
सरकार
ने
इसे
बढ़ाकर
पांच
लाख
रुए
कर
दिया
था।
यानी
जिस
बैंक
के
अकाउंट
में
आपके
पैसे
जमा
है
और
वह
डूब
जाता
है
तो
इंश्योरेंस
के
तौर
पर
पांच
लाख
रुपये
की
राशि
आपको
वापस
मिलेगी।
सरकार
ने
27
साल
बाद
डिपॉजिट
इंश्योरेंस
से
जुड़े
कानून
में
संशोधन
किया
था।

इन
अकाउंट
पर
मिलता
है
इंश्योरेंस
इंडिया
में
डिपॉजिट
इंश्योरेंस
एंड
क्रेडिट
गारंटी
कॉरपोरेशन
एक्ट
(डीआईसीजीसी)
बैंकों
में
जमा
लोगों
के
पैसे
को
इंश्योरेंस
कवर
देती
है।
इसमें
सेविंग्स
अकाउंट,
करेंट
अकाउंट,
रेकरिंग
अकाउंट
सहित
हर
तरह
के
डिपॉजिट
आते
हैं।
भारत
में
हर
कमर्शियल
बैंक
और
कोऑपरेटिव
बैंकों
के
ग्राहकों
को
डिपॉजिट
इंश्योरेंस
एंड
क्रेडिट
गारंटी
कॉरपोरेशन
एक्ट
के
इंश्योरेंस
कवर
का
लाभ
मिलता
है।

अगर
एक
बैंक
में
आपके
कई
अकाउंट
हैं
तो
क्या
होगा?
बैंक
डिपॉजिट
पर
5
लाख
रुपये
की
सुरक्षा
गारंटी
का
मतलब
है
कि
किसी
बैंक
में
आपकी
चाहे
जितनी
ज्यादा
रकम
जमा
हो
लेकिन
यदि
बैंक
के
डूबने
पर
आपको
इंश्योरेंस
के
तौर
पर
5
लाख
रुपये
ही
वापस
मिलेंगे।
लेकिन
अगर
आपके
उसी
बैंक
में
कई
अकाउंट
हैं
या
अलग-अलग
तरह
के
अकाउंट
हैं
तो
भी
बैंक
डूबने
की
स्थिति
में
उसे
डीआईसीजीसी
से
मिलने
वाला
मुआवाज
5
लाख
रुपये
तक
हीं
सीमित
होगा।
उदाहरण
के
तौर
पर
आपका
किसी
बैंक
में
सेविंग्स
अकाउंट
है
और
आपने
एफडी
भी
करा
रखी
है।
तीनों
में
5-5
लाख
का
पैसा
जमा
है।
तभी
भी
आपको
सिर्फ
5
लाख
रुपए
मिलेगी।
वही
अगर
बैंक
में
2
लाख
रुपए
हैं
तो
आपको
बैंक
मुआवजे
के
तौर
पर
सिर्फ
2
लाख
रुपए
ही
देगी,
ना
कि
पांच
लाख
रुपए।

कितने
दिनों
में
मिलेगा
पैसा
मान
लीजिए
किसी
बैंक
के
डूबने
से
आपका
पैसा
चला
जाता
है
तो
डिपॉजिट
इंश्योरेंस
एंड
क्रेडिट
गारंटी
कॉरपोरेशन
एक्ट
के
तहत
आरबीआई
के
बैंक
पर
मोरेटोरियम
लगाने
के
90
दिन
के
अंदर
डिपॉजिटर्स
को
पैसे
वापस
मिल
जाएंगे।
इंडिया
में
बैंकों
के
98
फीसदी
डिपॉजिटर्स
के
पैसे
को
इंश्योरेंस
की
सुरक्षा
हासिल
है।
डीआईसीजीसी
सभी
खाताधारकों
को
पेमेंट
करने
के
लिए
जिम्मेदार
होता
है।
डीआईसीजीसी
इस
राशि
की
गारंटी
लेने
के
लिए
बैंकों
से
बदले
में
किश्तें
लेता
है।
Credit
Suisse:
सिलिकॉन
वैली
के
बाद
अब
इस
स्विस
बैंक
पर
खतरा!
रघुराम
राजन
बैंक
डूबने
पर
क्या
बोले?
English summary
What will happen to your deposit money if bank collapses in India know all law and rules