अध्ययन: ऐसे ही रहा तो खतरनाक गर्मी की चपेट में होंगे 60 करोड़ भारतीय, तापमान को लेकर सामने आई भयावह तस्वीर


बढ़ते तापमान को लेकर सामने आई भयावह तस्वीर।
– फोटो : सोशल मीडिया

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अगर सब कुछ ऐसे ही चलता रहा तो 21वीं सदी के अंत तक 60 करोड़ भारतीयों समेत दुनिया भर के 200 करोड़ लोग खतरनाक गर्मी की चपेट में होंगे। एक नए अध्ययन में बढ़ते तापमान को लेकर यह भयावह तस्वीर सामने आई है। इसमें कहा गया है कि अगर सभी देश उत्सर्जन में कटौती के अपने वादे को पूरा भी कर लेते हैं, तभी कोई फर्क नहीं पड़ने वाला।

अध्ययन के मुताबिक, हम आने वाली पीढ़ियों के लिए भी गैस चैंबर तैयार कर रहे हैं। वैश्विक स्तर पर 3.5 व्यक्ति या केवल 1.2 अमेरिकी नागरिक अपने जीवन में जीतना उत्सर्जन करते हैं, वह भविष्य में पैदा होने वाले प्रत्येक एक व्यक्ति को भीषण गर्मी की चपेट में लाने का कारण बनता है। यह जलवायु असमानता के संकट को भी उजागर करता है क्योंकि भविष्य में खतरनाक तापमान की चपेट में आने वाले ये लोग उन स्थानों पर रहेंगे जहां वर्तमान समय में वैश्विक औसत के मुकाबले उत्सर्जन का स्तर आधा है।

50 प्रतिशत आबादी के अस्तित्व पर खतरा

अर्थ कमीशन और नानजिंग विश्वविद्यालय के साथ मिलकर शोध करने वाले एक्सेटर विश्वविद्यालय के ग्लोबल सिस्टम इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने कहा है कि सबसे खराब स्थिति में अगर वैश्विक तापमान में 4.4 डिग्री की वृद्धि होती है तो दुनिया की 50 प्रतिशत आबादी अभूतपूर्व गर्म तापमान की चपेट में होगी और उनके अस्तित्व पर खतरा पैदा हो जाएगा।



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