भिंडरावाले के गांव में मिली थी कमान
अमृतपाल सिंह को ‘वारिस पंजाब दे’ संगठन की कमान पिछले साल सितंबर में जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव में ही दी गई थी। इतना ही नहीं अमृतपाल सिंह खुद को भिंडरावाले का ही अनुयायी मानता है। अमृतपाल सिंह की जब ताजपोशी हुई थी उस समय उसने कहा था कि भिंडरावाले उसकी प्रेरणा हैं। मैं उनके बताए रास्ते पर ही चलूंगा। उसने यह भी कहा था कि मैं भिंडरावाले की तरह बनना चाहता हूं। इसके साथ ही पंजाब का हर युवा उसी रास्ते पर चलना चाहता है। 80-90 के दशक में पंजाब में आतंकवाद को जरनैल सिंह भिंडरावाले ने ही हवा दी थी।
भिंडरावाले की तरह ही रखता है लुक
अमृतपाल सिंह कई मौके पर बिल्कुल जरनैल सिंह भिंडरावाले की तरह ही लुक में नजर आ चुका है। अपनी हरकतों और तेवरों से वह भिंडरावाले जैसा दिखने की कोशिश करता है। इस बारे में पूछे जाने पर अमृताल ने कहा था कि मैं भिंडरावाले के पैरों की धूल भी नहीं हूं। मैं उनकी बराबरी नहीं कर सकता हूं। अमृतपाल सिंह यह कह चुका है कि उसके खून का हर कतरा पंथ की आजादी के लिए समर्पित रहेगा। अमृतपाल ने कहा था कि हमारी लड़ाई अतीत में इसी गांव से शुरू हुई थी और भविष्य में भी यहीं से होगी। अमृतपाल का कहना था कि हम अब भी गुलाम हैं और हमें अपनी आजादी के लिए लड़ना होगा।
अजनाला पुलिस थाने में किया था हंगामा
अमृतपाल सिंह ने पिछले महीने 23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला थाना में अपने अपने समर्थकों के साथ खूब बवाल काटा था। उसके समर्थकों के हाथों में हथियार, लाठी, बंदूकें और तलवारें थीं। इन लोगों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ते हुए जबरदस्ती थाने में घुस गए थे। ये लोग अपने साथी लवप्रीत सिंह की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। इसके बाद पुलिस को उसके साथी को छोड़ने का आश्वासन देना पड़ा था।
अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला
अमृतपाल सिंह पंजाब में अमृतसर के जल्लूपुर खेड़ा गांव का रहने वाला है। उसने 12 क्लास तक की ही पढ़ाई की है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार खालिस्तान, जरनैल सिंह भिंडरावाले और इससे जुड़ी तमाम जानकारी उसने इंटरनेट से हासिल की है। इससे पहले वह दुबई में ट्रांसपोर्ट से जुड़ा बिजनस कर रहा था। अमृतपाल पिछले साल सितंबर महीने में दुबई से कामकाज समेटकर वापस पंजाब आ गया था।