
सिद्धारमैया ने 22 महीने में लिया था सबसे ज्यादा कर्ज
सिद्धारमैया सबसे पहले 2013 में कर्नाटक के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे। पूरे पांच साल तक उन्होंने कांग्रेस की सरकार चलाई। शिक्षक शांतामूर्ति ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि एसएम कृष्णा से लेकर जगदीश शेट्टार के कार्यकाल में लोन का आंकड़ा 71,331 करोड़ रुपये था। वहीं सिद्धारमैया के सीएम रहते यह आंकड़ा 2.42 लाख करोड़ रुपये तक चला गया। कर्ज के आंकड़े में कितनी सच्चाई है, इसके बारे में छानबीन करने पर कोई आधिकारिक दस्तावेज तो नहीं मिला। हां यह बात जरूर है कि सिद्धारमैया जब सीएम थे तो कर्ज लेने के मामले में उन्होंने अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्रियों के आंकड़ों को पीछे छोड़ दिया था।
RTI का जवाब- 39161 करोड़ कर्ज लिया
दिसंबर 2015 में सिद्धारमैया सरकार के कर्ज के आंकड़ों के बारे में एक आरटीआई से जानकारी सामने आई थी। आरटीआई ऐक्टिविस्ट भीमप्पा गदड़ की आरटीआई के जवाब में पता चला कि सिद्धारमैया सरकार ने अपने 22 महीने के कार्यकाल (उस वक्त) में 39161.44 करोड़ रुपये का कर्ज लिया। यह तमाम पिछले रेकॉर्ड्स से ज्यादा था। वित्त विभाग ने आरटीआई का जवाब देते हुए बताया कि राज्य पर 1 लाख 5 हजार 584 करोड़ का कर्ज है। आरटीआई के जवाब में बताया गया कि बीएस येदियुरप्पा, डीवी सदानंद गौड़ा और जगदीश शेट्टार के सीएम रहते हुए 2008 से 2013 के दौरान 48,476 करोड़ का लोन लिया गया। शांतामूर्ति ने दावा किया कि शेट्टार के कार्यकाल तक लोन का आंकड़ा 71,331 करोड़ था। यह हकीकत से उलट नजर आता है, क्योंकि आरटीआई में इससे 23 हजार करोड़ रुपये कम कर्ज की जानकारी दी गई है। एक नजर 1999 से लेकर 2015 तक मुख्यमंत्रियों के कर्ज के आंकड़ों पर:
मुख्यमंत्री का नाम | कार्यकाल अवधि | कर्ज का आंकड़ा |
एसएम कृष्णा | 5 साल | 35902.30 करोड़ |
धरम सिंह | 20 महीने | 15,635.78 करोड़ |
एचडी कुमारस्वामी | 20 महीने | 3,545.91 करोड़ |
बीएस येदियुरप्पा | 40 महीने | 25,653.41 करोड़ |
डीवी सदानंद गौड़ा | 11 महीने | 9357.95 करोड़ |
जगदीश शेट्टार | 10 महीने | 13,464.66 करोड़ |
सिद्धारमैया | 22 महीने | 39,161.44 करोड़ |
5 गारंटी कैसे बढ़ा सकती है कर्ज का बोझ?
2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस जनता के बीच पांच गारंटियों के वादे के साथ वोट मांगने गई। कांग्रेस को बंपर बहुमत मिला और पहली कैबिनेट में पांच गारंटियों को लागू करने पर मुहर लगा दी गई है। पांच गारंटियों में पहला वादा है कि हर परिवार को 200 यूनिट मुफ्त बिजली मुहैया कराई जाएगी। इस पर सालाना करीब साढ़े 14 हजार करोड़ का खर्च आने का अनुमान है। दूसरी गारंटी है कि ग्रैजुएट बेरोजगार को तीन हजार मासिक और डिप्लोमा धारक को डेढ़ हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। इस पर तकरीबन तीन हजार करोड़ खर्च हो सकते हैं। तीसरा वादा है कि हर बीपीएल परिवार (गरीबी रेखा से नीचे) की महिला मुखिया को दो हजार रुपये मासिक भत्ता दिया जाएगा। इस पर अमल करने में 30 हजार करोड़ से ज्यादा का सालाना खर्च आ सकता है। चौथी गारंटी है कि हर बीपीएल परिवार के प्रत्येक सदस्य को 10 किलो अनाज। इस पर तकरीबन पांच हजार करोड़ रुपये खर्च हो सकते हैं। कांग्रेस की पांच गारंटियों का पांचवां वादा है- हर महिला को सरकारी बसों में मुफ्त सफर। इस पर कितना खर्च आ सकता है, इसका आकलन नहीं हो पाया है लेकिन इससे भी कुल बजट में इजाफा होना तय है। मोटे तौर पर सिद्धारमैया सरकार को इन गारंटियों के लिए तकरीबन 53 हजार करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त जुटाने होंगे।
कर्नाटक की इकॉनमी को समझिए
कर्नाटक सरकार का राजस्व घाटा अभी 60 हजार करोड़ का है। गारंटियों पर खर्च होने वाले पैसे को जोड़ने पर सालाना राजस्व घाटा 1 लाख 13 हजार करोड़ के आस-पास पहुंच जाएगा। कर्नाटक की कुल सालाना आय 2 लाख 26 हजार करोड़ रुपये है। वहीं राज्य का कुल सालाना खर्च 2 लाख 87 हजार करोड़ है। यानी राज्य सरकार को टैक्स और दूसरे मदों से सालाना जितनी आमदनी होती है उससे 60 हजार करोड़ रुपये ज्यादा खर्च करना पड़ता है। कर्नाटक पर अभी कुल कर्ज 5 लाख करोड़ का है। वहीं गारंटियों को पूरा करने से सरकार पर कर्ज और बढ़ने की संभावना है।
बीजेपी सरकार ने कैसा बजट पेश किया था?
विधानसभा चुनाव से पहले बसवराज बोम्मई के नेतृत्व में बीजेपी सरकार थी। बोम्मई सरकार ने रेवेन्यू सरप्लस (ज्यादा टैक्स कलेक्शन) बजट पेश किया था। तमाम बड़े राज्यों में कर्नाटक का जीएसटी कलेक्शन में ग्रोथ रेट काफी ऊपर था। 2022-23 के लिए रेवेन्यू कलेक्शन टारगेट 72 हजार करोड़ रखा गया था। वहीं जनवरी 2023 तक कर्नाटक को 83 हजार 10 करोड़ रुपये का रेवेन्यू कलेक्शन हो चुका था। खास बात यह है कि इसमें जीएसटी कम्पंसेशन की रकम शामिल नहीं है। राज्य को अनुमान से करीब 15 फीसदी ज्यादा राजस्व की प्राप्ति हुई।