फिल्म ‘कश्मीर फाइल्स’ और ‘केरल स्टोरी’ को बॉक्स ऑफिस पर मिली कामयाबी ने राजस्थान के अजमेर शहर में साल 1992 में घटी एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी को फिल्म में तब्दील करने का हौसला इसे बनाने वालों को दिया है। ‘भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’ के निर्देशन से सुर्खियों में आए अभिषेक दुधैया पहले इस कहानी को वेब सीरीज के तौर पर बनाने वाले थे, लेकिन अब उनका मानना है कि ये कहानी फिल्म के लिए बेहतर साबित होगी और जिस तरह की फिल्मों को लोग पसंद कर रहे हैं, उसे देखते हुए इसका भविष्य बॉक्स ऑफिस पर अच्छा होगा।
राजस्थान के अजमेर में करीब 30 साल पहले की एक घटना में पूरे देश में सनसनी मचा दी थी। इस मामले में अजमेर के एक रसूखदार परिवार, उनके रिश्तेदारों और परिचितो ने करीब 300 लड़कियों को ब्लैकमेल किया। पुलिस की तहकीकात में पता चला कि इन लड़कियों से बलात्कार किया गया और उनकी नंगी तस्वीरें खींचकर उनसे वह सब करवाया गया, जिसे समाज अपराध मानता है। कई लड़कियों को ब्लैकमेल करते हुए उन्हें जबरन वेश्यावृत्ति में भी धकेला गया।
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साल 1992 में जब यह मामला प्रकाश में आया तो न सिर्फ पूरे प्रदेश में बल्कि पूरे देश में हड़कंप मच गया था। इस मामले में कुछ गिरफ्तारियां भी हुई। लेकिन अभी तब इस मामले के बहुत सारे दोषी पकड़ में नहीं आए हैं। इस कहानी पर वेब सीरीज ‘अजमेर फाइल्स’ बनाने की तैयारी कर रही कंपनी टिप्स ने अब इसे फिल्म के रूप में बनाने का फैसला किया है। टिप्स के चेयरमैन कुमार तौरानी के मुताबिक, ‘अजमेर फाइल्स’ को फिल्म के रूप में थियेटर में देखने का अपना एक अलग अनुभव होगा।’
तौरानी ने अभिषेक दुधैया के साथ इस पूरे मसले पर लंबा विचार विमर्श किया है। फिल्म के सह निर्माता व निर्देशक अभिषेक दुधैया कहते हैं, ‘हम ‘अजमेर फाइल्स’ पर काम करके बहुत खुश और उत्साहित हैं। इसकी पटकथा लगभग पूरी हो चुकी है। अब जब इसे बड़े पर्दे के लिए बनाया जा रहा है तो मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि यह दर्शकों को बांधे रखेगी। यह एक ऐसी कहानी है जो दर्शकों के दिलों को झकझोर कर रख देगी।
फिल्म ‘अजमेर फाइल्स’ के अलावा अभिषेक दुधैया टिप्स फिल्म के साथ मिलकर माओवादी-नक्सली उग्रवाद की एक वास्तविक घटना आधारित वेब सीरीज ‘सलवा जुडुम’ का भी निर्माण करने जा रहे हैं। बता दें कि ‘सलवा जुडूम’ एक शांति यात्रा थी, जो छत्तीसगढ़ में नक्सली हिंसा के खिलाफ सरकार द्वारा चलाया गया आंदोलन है। इस आंदोलन का उद्देश्य राज्य में नक्सली हिंसा को रोककर शांति स्थापित करना था। यह आन्दोलन छत्तीसगढ़ की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समर्थन से चलाया गया था। जिसकी शुरुआत साल 2005 में कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा द्वारा की गई थी।