क्या पुतिन को गिरफ्तार करना संभव है? जानें इंटरनेशल कोर्ट के नियम, कैसे होगी रूसी राष्ट्रपति की गिरफ्तारी

इतिहास में कई ऐसे मामले आए हैं, जिनमें आरोपियों की गिरफ्तारी की गई है। आज जो नेता सबसे ज्यादा ताकतवर लगता है, भविष्य में उसकी स्थिति बदल भी सकती है और देशों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ समझौते भी किए हैं।

International

oi-Abhijat Shekhar Azad

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Vladimir Putin ICC Arrest Warrant


Vladimir
Putin
ICC
Arrest
Warrant:

इंटरनेशनल
क्रिमिनल
कोर्ट
(ICC)
ने
रूस
के
राष्ट्रपति
व्लादिमीर
पुतिन
के
खिलाफ
गिरफ्तारी
वारंट
जारी
कर
दिया
है।
ICC
ने
यूक्रेन
के
खिलाफ
युद्ध
शुरू
करने
के
आरोपों
के
तहत
रूरी
राष्ट्रपति
के
खिलाफ
गिरफ्तारी
के
वारंट
जारी
किए
हैं
और
ICC
के
मुख्य
प्रॉसीक्यूटर
करीम
खान
ने
कहा,
कि
“सैकड़ों
बच्चों
को
अवैध
रूप
से
यूक्रेन
के
कब्जे
वाले
इलाकों
में
अनाथालयों
और
बाल
गृहों
से
रूस
में
नया
परिवार
देने
के
नाम
पर
ले
जाने
के
आरोप
में
पुतिन
के
खिलाफ
गिरफ्तारी
वारंट
जारी
किए
गये
हैं।”
सूडान
के
उमर
अल-बशीर
और
लीबिया
के
मुअम्मर
गद्दाफी
के
बाद
व्लादिमीर
पुतिन
दुनिया
के
तीसरे
ऐसे
नेता
बन
गये
हैं,
जिनके
पद
पर
रहने
के
दौरान
ICC
ने
गिरफ्तारी
का
वारंट
जारी
किया
है।
लेकिन,
सवाल
ये
उठता
है,
कि
क्या
वाकई
व्लादिमीर
पुतिन
को
गिरफ्तार
किया
जा
सकता
है?
अगर
हां,
तो
किस
तरह
से
उन्हें
गिरफ्तार
किया
जा
सकता
है
और
इसका
पूरी
दुनिया
पर
क्या
असर
पड़ेगा?


ICC
के
वारंट
का
मतलब
क्या
है?

ICC
के
वारंट
का
आसान
शब्दों
में
मतलब
ये
है,
कि
ICC
के
123
सदस्य
देश
हैं,
जो
उसके
फैसले
को
मानने
के
लिए
बाध्य
होते
हैं।
यानि,
दुनिया
के123
देशों
में
अब
अगर
व्लादिमीर
पुतिन
कदम
रखते
हैं,
तो
फिर
ये
123
देश
रूसी
राष्ट्रपति
को
गिरफ्तार
करने,
और
उन्हें
आगे
की
जांच
के
लिए
ICC
के
हेड
ऑफिस
हेग
में
ट्रांसफर
करने
के
लिए
बाध्य
होंगे।
हालांकि,
रूस
ने
ICC
के
फैसले
को
‘अपमानजनक’
बताकर
सिरे
से
खारिज
कर
दिया
है
और
रूस
ने
ICC
के
फैसले
को
‘नल
एंड
वॉयड’
बताया
है
और
कहा
है,
कि
रूस
इंटरनेशनल
क्रिमिनल
कोर्ट
तो
मान्यता
नहीं
देता
है।
लिहाजा,
रूस
का
इंटरनेशनल
कोर्ट
को
लेकर
जो
रूख
है,
वो
शक
उत्पन्न
करता
है,
कि
क्या
पुतिन
को
गिरफ्तार
किया
जा
सकता
है
और
क्या
उनके
खिलाफ
कोई
मुकदमा
चलाया
जा
सकता
है?


पुतिन
पर
मुकदमा
चलाना
बहुत
मुश्किल

एक्सपर्ट्स
का
कहना
है,
कि
पुतिन
पर
मुकदमा
चलाने
की
संभावना
दूर-
दूर
तक
नहीं
दिख
रही
है।
मास्को
इंटरनेशनल
कोर्ट
के
अधिकार
क्षेत्र
को
मान्यता
नहीं
देता
है,
और
अपने
नागरिकों
का
प्रत्यर्पण
नहीं
करता
है
और
पुतिन
को
लेकर
कोर्ट
के
फैसले
के
बाद
रूसी
विदेश
मंत्रालय
की
प्रवक्ता
मारिया
जखारोवा
ने
इसकी
पुष्टि
भी
कर
दी
है।
उन्होंने
कहा,
कि
‘अंतर्राष्ट्रीय
आपराधिक
न्यायालय
के
फैसलों
का
हमारे
देश
के
लिए
कोई
मतलब
नहीं
है,
और
कानूनी
लिहाज
भी
शामिल
है।’
यहां
तक
कि
आईसीसी
के
प्रेसिडेंट
पियोटर
हॉफमांस्की
ने
भी
इस
बात
को
माना,
कि
अदालत
के
न्यायाधीशों
ने
वारंट
जारी
किए
हैं,
लेकिन
उन्हें
लागू
करना
अंतरराष्ट्रीय
समुदाय
पर
निर्भर
करेगा।
आपको
बता
दें,
कि
इंटरनेशनल
क्रिमिनल
जस्टिस
के
रोम
संविधि
प्रणाली
(Rome
Statute
system)
के
तहत,
इसके
पास
अपने
आदेशों
को
लागू
करवाने
के
लिए
कोई
पुलिस
बल
नहीं
है,
लिहाजा
ये
इसके
सदस्य
देशों
पर
निर्भर
करता
है,
कि
वो
कोर्ट
के
फैसले
को
लागू
करवाने
के
लिए
काम
करते
हैं
या
नहीं?


क्या
पुतिन
को
गिरफ्तार
करना
संभव
है?

इंटरनेशनल
क्रिमिनल
कोर्ट
के
नियमों
के
तहत,
किसी
भी
व्यक्ति
पर
तभी
मुकदमा
चलाया
जा
सकता
है,
जब
वो
व्यक्ति
व्यक्तिगत
तौर
पर
कोर्ट
में
मौजूद
हो,
उसकी
गैर-मौजूदगी
में
उसके
खिलाफ
मुकदना
नहीं
चलाया
जा
सकता
है।
इसका
मतलब
ये
हुआ,
कि
पुतिन
के
खिलाफ
तभी
मुकदमा
चलाया
जा
सकता
है,
जब
वो
व्यक्तिगत
तौर
पर
कोर्ट
में
मौजूद
हैं,
लेकिन
इसके
लिए
जरूरी
है,
कि
रूसी
राष्ट्रपति
को
गिरफ्तार
कर
इंटरनेशनल
कोर्ट
के
हेग
दफ्तर
ले
जाया
जाए,
और
ये
काफी
ज्यादा
मुश्किल
तो
है,
लेकिन
असंभव
भी
नहीं
है।
जब
किसी
शख्स
के
खिलाफ
इंटरनेशनल
कोर्ट
की
तरफ
से
गिरफ्तारी
का
वारंट
जारी
होता
है,
और
वो
संदिग्ध
किसी
अन्य
देश
की
यात्र
करता
है,
तो
ICC
की
तरफ
से
उस
संदिग्ध
के
खिलाफ
उस
देश
को
रिमाइंडर
दिया
जाता
है।
यदि
कोई
देश,
इंटरनेशनल
कोर्ट
के
आदेश
का
पालन
नहीं
करता
है,
तो
इसे
कोर्ट
अपने
संज्ञान
में
रखता
है।
व्लादिमीर
पुतिन
के
मामले
में,
उन्हें
रूसी
क्षेत्र
में
तो
गिरफ्तार
नहीं
किया
जा
सकता
है,
लेकिन
ये
भी
सच
है,
कि
पिछले
साल
फरवरी
महीने
में
युद्ध
शुरू
होने
के
बाद
से
उन्होंने
विदेश
की
यात्राएं
की
हैं,
लेकिन
क्या
अब
वो
रूस
से
बाहर
निकलेंगे?
क्योंकि
ICC
के
फैसले
को
उसके
सदस्य
देशों
की
तरफ
से
नहीं
मानना,
जियो-पॉलिटिक्स
के
लिहाज
से
काफी
मुश्किल
बन
जाता
है।
हालांकि,
जो
देश
ICC
के
सदस्य
नहीं
हैं,
वो
इसके
नियमों
को
मानने
के
लिए
बाध्य
नहीं
हैं।


क्या
ICC
का
गिरफ्तारी
वारंट
प्रतीकात्मक
है?

इतिहास
में
देखा
जाए,
तो
कुछ
ऐसे
देश
भी
हैं,
जो
ICC
का
सदस्य
नहीं
होने
के
बाद
भी,
आईसीसी
के
फैसलों
को
लागू
करने
में
अपना
योगदान
दिया
है।
और
यदि
संयुक्त
राष्ट्र
ICC
के
फैसले
को
लागू
करने
की
बात
करता
है,
तो
फिर
संयुक्त
राष्ट्र
के
सदस्य
देशों
के
लिए
नैतिक
बात
(कानूनी
बात
नहीं)
बन
जाती
है,
कि
वो
ICC
के
आदेश
को
लागू
करवाने
में
योगदान
दे।
हालांकि,
राष्ट्रपति
पुतिन
गिरफ्तार
होंगे
या
नहीं,
इसकी
संभावना
पर
बोलते
हुए
ICC
के
प्रॉसीक्यूटर
करीम
खान
ने
बीबीसी
से
बात
की
और
कहा,
कि
“जो
लोग
महसूस
करते
हैं,
कि
वे
‘दिन
में
अपराध
कर
सकते
हैं,
और
रात
में
अच्छी
नींद
ले
सकते
हैं,
उन्हें
शायद
इतिहास
को
देखना
चाहिए’।
वहीं,
बीबीसी
की
रिपोर्ट
के
मुताबिक,
वकील
जोशुआ
रोज़ेनबर्ग
ने
स्वीकार
किया,
कि
ये
वारंट
‘कुछ
हद
तक
प्रतीकात्मक’
है,
लेकिन
उन्होंने
ये
भी
कहा,
कि
ये
वारंट
एक
संदेश
भेजता
है।
उन्होंने
कहा,
कि
वारंट
पुतिन
के
लिए
एक
संदेश
है,
क्योंकि
भले
ही
वो
आज
एक
देश
के
राष्ट्रपति
हो
सकते
हैं,
लेकिन
कल
की
तारीख
में
वो
राष्ट्रपति
नहीं
भी
रह
सकते
हैं,
और
ऐसी
स्थिति
में
आप
पकड़े
जा
सकते
हैं।


पुतिन
की
गिरफ्तारी
किन
हालातों
में
हो
सकती
है?

ह्यूमन
राइट्स
वॉच
के
पूर्व
कार्यकारी
निदेशक
केन
रोथ
ने
कहा,
कि
“पश्चिमी
देशों
के
प्रतिबंधों
का
प्रभाव
क्रेमलिन
को
ICC
के
साथ
सहयोग
करने
के
लिए
मजबूर
कर
सकता
है”।

आई
से
बात
करते
हुए
उन्होंने
कहा,
कि
“अगर
रूस
पर
गंभीर
आर्थिक
प्रेशर
पड़ता
है,
जो
अभी
पड़
रहा
है,
तो
भविष्य
में
रूस
को
समझौता
करना
पड़
सकता
है
और
ऐसी
स्थिति
पुतिन
के
लिए
गिरफ्तारी
का
माहौल
तैयार
करेगी।”
उन्होंने
कहा,
कि
“आज
भले
पुतिन
निश्चिंत
हो
सकते
हैं,
कि
उन्हें
ICC
के
वारंट
को
लेकर
चिंता
करने
की
जरूरत
नहीं
है,
लेकिन
इसके
लिए
उन्हें
ये
सुनिश्चित
करना
होगा,
कि
वो
आजीवन
रूस
के
राष्ट्रपति
बने
रहें।”
उन्होंने
कहा,
कि
“इतिहास
गवाह
है,
कि
देशों
ने
समझौते
किए
हैं
और
अंतर्राष्ट्रीय
समुदाय
के
दबाव
ने
काम
किया
है,
लेकिन
पुतिन
के
बाद
अगर
कोई
और
रूस
के
राष्ट्रपति
बनते
हैं,
तो
वो
प्रतिबंधों
को
खत्म
करने
के
लिए
दुनिया
के
साथ
संबंध
बहाली
की
तरफ
कदम
बढ़ा
सकते
हैं
और
वो
वक्त
होगा,
जब
पुतिन
को
गिरफ्तार
करने
और
उन्हें
कोर्ट
में
ट्रांसफर
करने
का
दबाव
रूस
पर
बनेगा।”


इतिहास
में
किन
नेताओं
के
साथ
ऐसा
हुआ
है?

कानूनी
जानकारों
का
कहना
है,
कि
इतिहास
में
आईसीसी
के
फैसलों
का
असर
देखा
गया
है
और
इसके
लिए
यूगोस्वाविया
के
पूर्व
राष्ट्रपति
स्लोबोदान
मिलोसेविच
का
हवाला
दिया
गया,
जिनके
खिलाफ
क्रोएशिया,
बोस्निया
और
कोसोनो
में
युद्ध
अपराधों
को
अंजाम
देने
का
मुकदमा
चला
था।
किसी
ने
नहीं
सोचा
था,
कि
मिलोसेविच
को
अपने
जीवनकाल
में
मुकदमे
का
सामना
करना
पड़ेगा,
लेकिन
2001
में
सर्बिया
के
तत्कालीन
प्रधानमंत्री
ज़ोरान
जिंदजिक
पर
आईसीसी
के
साथ
सहयोग
करने
का
भारी
दबाव
बना
और
आर्थिक
प्रेशर
के
आगे
वो
टूटे
और
फिर
स्लोबोदान
मिलोसेविच
की
सत्ता
को
उखाड़
फेंका
गया
और
उन्हें
इंटरनेशनल
कोर्ट
ट्रांसफर
कर
दिया
गया।
इसी
तरह,
बोस्नियाई
सर्ब
राजनीतिक
और
सैन्य
नेताओं
राडोवन
कराडज़िक
और
रत्को
म्लादिक
को
युद्ध
अपराधों
के
लिए
2016
और
2017
में

हेग
में
मुकदमे
का
सामना
करना
पड़ा
था।
कई
सालों
के
बाद
उन्हें
सर्बिया
में
गिरफ्तार
किया
गया
था।
वहीं,
लाइबेरिया
में
चार्ल्स
टेलर
के
मामलों
का
भी
जिक्र
आता
है,
जिन्हें
50
साल
की
जेल
हुई
थी,
और
फेलिसियन
काबुगा,
जिन्हें
2020
में
गिरफ्तार
किया
गया
था।
फेलिसियन
काबुगा
को
1997
में
रवांडा
में
नरसंहार
के
आरोपों
के
तहत
गिरफ्तारी
वारंट
जारी
किया
गया
था।
फेलिसियन
काबुगा
के
ऊपर
40
लाख
पाउंड
का
इनाम
भी
रखा
गया
था
और
आरोप
लगाया
गया
था,
कि
उन्होंने
जातीय
चरपंथियों
को
हथियार
दिए,
जिन्होंने
8
लाख
जातीय
अल्पसंख्यकों
का
नरसंहार
कर
दिया।

अमेरिका-रूस के बीच की शांति समझौता करवा सकता है भारत, जानिए पीएम मोदी से ही क्यों हैं उम्मीदें?अमेरिका-रूस
के
बीच
की
शांति
समझौता
करवा
सकता
है
भारत,
जानिए
पीएम
मोदी
से
ही
क्यों
हैं
उम्मीदें?

English summary

International Criminal Court has issued an arrest warrant against Vladimir Putin. Is it possible to arrest the Russian President? know everything

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