शुक्रवार को भरत सिंह ने जो पत्र सीएम को लिखा, उससे साफ हो गया है कि वो अब प्रमोद जैन भाया के साथ उन्हें भी बख्शने के मूड में नहीं हैं। गहलोत और भरतसिंह के बीच का व्यवहार भरतसिंह के पिता जुझार सिंह के वक्त का चला आ रहा हैं। लेकिन भरत सिंह के पत्र की शब्दावली में आज अंतर आया है, उसकी सियासी गलियारों में हड़कंप मचा दिया है।
पढ़िये क्या लिखा भरत सिंह ने
दरअसल, सीएम अशोक गहलोत शुक्रवार को प्रमोद जैन भाया के नेतृत्व में हुए सर्वधर्म सामूहिक विवाह समारोह में पहुंचे थे। इस बात से नाखुश होकर भरत सिंह ने शुक्रवार को एक पत्र लिखा, जिसमें उन्होंने सीएम गहलोत पर तीखा तंज कस दिया। सिंह ने लिखा भ्रष्टाचार की “गंगा” की खोज करते करते मुख्यमंत्री आखिर गंगोत्री पहुंचे गए। उन्होंने यह भी लिखा कि ईमानदारी की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री गहलोत खुद खुलेआम भ्रष्टाचार को आशीर्वाद देते हैं।
उन्होंने आगे लिखा कि CM को, वर्ष 2019-20 में वर्तमान कांग्रेस सरकार का प्रथम बजट पेश करते समय आपने प्रश्न किया था कि प्रदेश में भ्रष्टाचार की गंगा किसने बहाई। बजट भाषण के प्रष्ट 20 पर पैरा 81 में आपने यह कहा था कि ‘भ्रष्टाचार की इस बहती गंगा में ईमानदार लोग भी भ्रष्ट हो गए है’। सिंह ने यहां कटाक्ष करते हुए लिखा कि आपने सोच समझकर अपने मन की बात कही थी। भरत सिं ने सीएम को याद दिलाते हुए लिखा कि यह बात आपने उनकी 150 वीं जयंती पर अपने बजट भाषण में करी थी।
प्रमोद जैन भाया पर भी कसा तंज
भरत सिंह सीएम को लिखते हैं कि 26 मई 2023 को बांरा में भाया की ओर से आयोजित महाकुंभ में जाकर आपने यह साबित कर दिया कि ईमानदारी की दुहाई देने वाले प्रदेश का मुख्यमंत्री स्वयं खुलेआम भ्रष्टाचार को आर्शीवाद प्रदान करते हैं। गजब है भाया और भाया की यह माया। भाया ने इतिहास रच डाला। जैन तीर्थ बनाया। सर्वजातीय निःशुल्क सामूहिक विवाह सम्मेलन रच दिया। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज होगा। बांरा का निःशुल्क विवाह सम्मेलन। धन्य है श्री 1 महावीर गौशाला सेवा संस्थान धन्य है। प्रदेश का गौपालन मंत्री धन्य है। प्रदेश के मुख्यमंत्री भाया रे भाया तूने खूब खाया। सिंह ने आगे लिखा कि संत कबीर ने सही कहा है कि ‘आधी व रूखी भली सारी तो संताप जो खावेगा चूपडी बहुत करेगा पाप ।’
रिपोर्ट : अर्जुन अरविंद, कोटा