नेपाली अखबार काठमांडू पोस्ट ने यह जानकारी दी है। नेपाल की सेना ने इस रिपोर्ट को खारिज किया है। यह वही चीनी कंपनी है जिसको अमेरिका सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर रखा है। नेपाल की सेना को नेपाल आर्मी वेलफेयर फंड के जरिए चीन से 26 हथियारबंद वाहन मिलने वाला है। इसका फैसला खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा ने किया था जो उस समय रक्षामंत्री भी थे। इस डील के तहत नेपाल की सेना को पहले पैसा देना होता। इसके बाद इन चीनी वाहनों के नेपाली सेना में संचालन में आने के बाद संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन कार्यालय इस पैसे को उसे लौटा देता।
चीनी कंपनी को ज्यादा पैसा दे रही है नेपाल की सेना
अब इसमें समस्या यह आ रही है कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने चीनी कंपनी नोरिन्को को प्रतिबंधित कर रखा है। अब नेपाल सरकार और वहां के बैंक इस दुविधा में फंसे हुए हैं कि अगर इन वाहनों को चीन से खरीदा गया तो उसका परिणाम क्या होगा। नेपाली सेना के प्रमुख जनरल प्रभु राम शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि सेना को इस समय किसी हथियार की जरूरत नहीं है लेकिन उसे कुछ वाहनों की जरूरत पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि नेपाली सेना के पास हथियारों का पर्याप्त भंडार मौजूद है। देउबा की मंजूरी के बाद नेपाली सेना ने चीन और भारत की कंपनियों से बातचीत करना शुरू किया। इसके बाद चीन से 26 और भारत से 4 गाड़ियों के खरीदने पर सहमति बनी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल जिन चीनी गाड़ियों को खरीद रहा है, उनके दाम भारत की तुलना में कहीं ज्यादा है। भारत के एक हथियारबंद वाहन की कीमत जहां 4 करोड़ रुपये है, वहीं ठीक उसी तरह के चीनी वाहन के लिए नेपाल 7.7 करोड़ रुपये चुका रहा है। इस डील के लिए नेपाल सरकार में काफी माथापच्ची हुई थी। प्रचंड की भारत यात्रा से ठीक पहले चीन से इन वाहनों के नहीं खरीदने के लिए राजनीतिक दबाव पड़ने और अमेरिका के ब्लैक लिस्ट करने के खुलासे के बाद अब बैंक ने इस डील पर रोक लगा दी है। वहीं नेपाली सेना इन महंगी चीनी गाड़ियों को खरीदने के लिए आतुर दिखाई पड़ रही है। अब प्रचंड ने रक्षा मंत्री को तलब किया है और साफ कह दिया है कि भारत दौरे से ठीक पहले इस डील को नहीं करें। प्रचंड ने कहा कि देश की आर्थिक हालत खराब है और यह हथियार खरीदने के लिए सही समय नहीं है।
भारत की चार दिवसीय यात्रा पर जाएंगे प्रचंड
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर बुधवार को भारत की यात्रा पर जायेंगे। इस दौरान वह बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने के लिए अपने भारतीय समकक्ष नरेन्द्र मोदी और अन्य नेताओं के साथ बातचीत करेंगे। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने शनिवार को यह जानकारी दी। दिसंबर 2022 में कार्यभार संभालने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री की यह पहली द्विपक्षीय विदेश यात्रा होगी। प्रचंड (68) के साथ उनकी बेटी गंगा दहल भी होंगी। वह प्रधानमंत्री मोदी के निमंत्रण पर भारत की यात्रा करेंगे। वह मंत्रियों, सचिवों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। नेपाल के प्रधानमंत्री के रूप में प्रधानमंत्री ‘प्रचंड’ की यह चौथी भारत यात्रा है।