टॉयलेट क्‍लीनर पीकर खुदकुशी की कोशिश ज‍िंंदगी कर देगी बर्बाद

नई दिल्‍ली: बाथरूम क्‍लीनर या एसिड पीकर खुदकुशी की कोशिश अक्‍सर नाकाम रहती है। अलबत्‍ता, आगे की जिंदगी जरूर नरक बन जाती है। एक अध्‍ययन में यह दावा किया गया है। इसके मुताबिक, टॉयलेट क्‍लीनर पीने के कारण मौत 13 फीसदी मामलों में होती है। लेकिन, शरीर खराब हो जाता है। 50 फीसदी बाद में रोगी हो जाते हैं। नतीजतन, बाद की जिंदगी जहन्‍नुम बन जाती है। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल स्‍पेशलिटीज में यह स्‍टडी पब्लिश हुई है। इसमें कहा गया है कि खुदकुशी की कोशिश के ऐसे मामले 2.5-5 फीसदी तक होते है। इनमें रोगी होने जाने की संभावना 50 फीसदी होती है। मौत 13 फीसदी मामलों में ही होती है।

हाल में एक और स्‍टडी आई थी। यह पीजीआई चंडीगढ़ की थी। इसमें बताया गया था कि लॉकडाउन में लोगों ने जिस जहर को खाकर अपनी जान लेने की कोशिश की, उनमें ‘कोरोसिव्‍स’ सबसे ज्‍यादा थे। ये घर के टॉयलेट क्‍लीनर में होते हैं। एम्‍स में पिछले एक दशक में ऐसे मामलों में मार्टेलिटी यानी मौत 8 फीसदी मामलों में रही।

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एसिड मारता नहीं, टॉर्चर करता है…
एम्‍स में गैस्‍ट्रोएंटरोलॉजी सर्जन प्रोफेसर निहार रंजन दास कहते हैं कि हर हफ्ते ऐसे दो केस दर्ज किए जाते हैं। ऐसा करने वालों में 21 से 30 साल के नौजवान ज्‍यादा होते हैं। कोरोना की महामारी के दौरान एम्‍स इमर्जेंसी में ऐसे कई क्रिटिकल केस रिपोर्ट किए गए। खुदकुशी की कोशिश के बाद जिस दर्द से वे गुजरे वो दहलाने वाला था। एसिड मारता नहीं है। टॉर्चर करता है।

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एम्‍स के डॉक्‍टरों ने हाल में एक हाई-रिस्‍क सर्जरी की थी। इसमें 22 साल का लड़का शामिल था। अपने जन्‍मदिन वाले दिन उसने टॉयलेट क्‍लीनर पी लिया था। यह जून 2020 की बात है। उसकी चार सर्जरी करनी पड़ी थीं। जान बचने के बाद उसने इच्‍छा जाहिर की थी कि ईश्‍वर न करे किसी को वो दिन देखने पड़ें जो उसने देखे।

जगह-जगह पर आती हैं मुश्‍क‍िलें…
दास ने बताया कि 7 स्‍पेशलिटी से एम्‍स के डॉक्‍टरों की टीम ने सर्जरी प्‍लान की थी। इसमें मरीज के दाहिने फेंफड़े में फंसी स्‍टेंट को हटाया गया था। एंडोस्‍कोपी के दौरान फूड पाइप को फैलाने की कोशिश में यह फंस गई थी। यह एंडोस्‍कोपी एक प्राइवेट अस्‍पताल में की गई थी। लेकिन, डर सर्जरी के दौरान विंडपाइप के फटने का था। इससे तुरंत मौत हो सकती थी। फिर और कई दौर की सर्जरी हुईं।

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ऐसे मामलों में मरीज की मौत बहुत ज्‍यादा जहर फैलने से होती है। आंतों को कितना नुकसान हुआ है, काफी कुछ यह इस पर निर्भर करता है। आवाज चली जाती है। सांस दिलाने के लिए ट्यूब देने की जरूरत पड़ती है।

एसिड के संपर्क में आने पर पानी से एक्‍सपोज्‍ड एरिया को धुलना सबसे अच्‍छा है। ऐसे मामलों में नजदीकी मेडिकल सेंटर तुरंत पहुंचना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के अनुसार, 18 साल से कम उम्र के लोगों को एसिड नहीं बेचा जा सकता है। सिर्फ लाइसेंस्‍ड शॉपकीपर्स को ही एसिड की बिक्री की अनुमति है। बिक्री से पहले विक्रेता के लिए ग्राहक का आइडेंटिटी प्रूफ लेना जरूरी है। ग्राहक के लिए यह बताना जरूरी है कि वह किस मकसद से एसिड ले रहा है।

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