नीतीश कुमार को विपक्षी नेताओं से समर्थन मिलने के बाद अब इस बात पर चर्चा शुरू हो गई है कि चुनावी संग्राम में बेहतर चाणक्य कौन है- अमित शाह, नीतीश कुमार या शरद पवार। ये सभी अपने-आप में खास हैं, लेकिन चुनावी रणनीति बनाने की इनकी क्षमता की परीक्षा 2024 के लोकसभा चुनाव में होगी।
हाइलाइट्स
- लोकसभा चुनाव 2024 में नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण
- अमित शाह पार्टी संगठन के लिए सूक्ष्म स्तर पर करते हैं काम
- नीतीश कुमार का विभिन्न दलों के नेताओं से अच्छा संबंध
मैचमेकर के रूप में नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण
शिवानंद तिवारी ने कहा कि यहां एक मैचमेकर के रूप में नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण है। वह एक सीट, एक उम्मीदवार का फार्मूला लेकर आए हैं जिसे कांग्रेस पार्टी ने स्वीकार कर लिया। यही कारण था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नीतीश कुमार के साथ बातचीत की। इसके बाद उन्होंने राहुल गांधी के साथ बैठक की। नीतीश कुमार के प्रस्ताव को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने भी स्वीकार कर लिया। इसके बावजूद नीतीश कुमार के कौशल की परीक्षा तब होगी जब वह इन सभी नेताओं को एक मंच पर लाने में सक्षम होंगे। इसके लिए नीतीश कुमार की राजनीतिक राह आसान नहीं है। इसके बाद एक सीट, एक उम्मीदवार के फॉमूर्ले पर सर्वसम्मति बनाने और, सबसे महत्वपूर्ण, 2024 के लोकसभा चुनाव में एक सकारात्मक परिणाम की चुनौती होगी।
अमित शाह पार्टी संगठन के लिए सूक्ष्म स्तर पर करते हैं काम
राजद नेता ने कहा कि इस समय सभी यह नहीं कह सकते कि देश का सबसे अच्छा चाणक्य कौन है। हर कोई जानता है कि अमित शाह प्रभावशाली छोटे दलों और नेताओं को भाजपा के पक्ष में लाने के लिए किस प्रकार सूक्ष्म स्तर पर काम करते हैं ताकि विपक्षी दलों के वोटों को विभाजित किया जा सके। यह कोई बड़ी बात नहीं है, खासकर भाजपा के लिए। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार कितने अच्छे चाणक्य हैं यह इस बात से तय होगा कि वह विपक्षी दलों को एकजुट करने, लोगों के समर्थन को वोट में बदलने और महागठबंधन में वोटों के बंटवारे को कम से कम करने में कितने सफल होते हैं।
नीतीश कुमार का विभिन्न दलों के नेताओं से अच्छा संबंध
शिवानंद तिवारी ने कहा कि हर कोई इस बात की चर्चा कर रहा है कि किस तरह राहुल, ममता और अखिलेश नीतीश कुमार की पहल का समर्थन कर रहे हैं। उनका दृढ़ विश्वास है कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे संबंध बनाने का नीतीश का अपना तरीका है। केंद्रीय रेल मंत्री के रूप में उन्होंने कभी देश के सिर्फ एक ही क्षेत्र के विकास की बात कभी नहीं सोची थी। उन्होंने उत्तर से दक्षिण और पूर्व से पश्चिम तक हर नेता की मांग पूरी की। दूसरे नेताओं के साथ उनके व्यक्तिगत संबंध बहुत अच्छे हैं जो उनका सबसे बड़ा मजबूत पक्ष है। दूसरा उनकी स्वच्छ छवि है। कोई भी कभी भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में उन्हें नहीं घसीट सका है, भाजपा भी नहीं। इसके अलावा, राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल जैसे विपक्षी दलों के नेताओं को एक-एक कर निशाना बनाने की भाजपा की हालिया रणनीति ने विपक्षी नेताओं को एकता के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया है।
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