लाइमलाइट वाले दोस्त गायब
आरोप लगने के बाद ईओयू ने कार्रवाई शुरू की। मनीष के घर पर कुर्की प्रक्रिया शुरू हो गई। खुद को लाखों लोगों का दुलारा मानने वाला मजबूर हो गया। घर के दरवाजे, खिड़कियां, और अन्य कीमती सामान एजेंसी ले जाने लगी। कानून की इन प्रक्रियाओं ने मनीष को अंदर तक हिला दिया। YouTuber मनीष कश्यप ने शनिवार को मझौलिया थाना अंतर्गत डुमरी महनवा में अपने घर की संपत्ति की कुर्की शुरू करने के बाद पश्चिमी चंपारण जिले के जगदीशपुर पुलिस चौकी में आत्मसमर्पण कर दिया। मनीष कश्यप को फर्जी सूचना और वीडियो पोस्ट करने और तिरुपुर में प्रवासी श्रमिकों पर हमले के बारे में अफवाहें फैलाने के आरोप में तलाश की जा रही थी। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने कश्यप के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए हैं। कश्यप पर तमिलनाडु में 9 मामले दर्ज हैं।
‘कुर्की जब्ती से घबरा गया मनीष कश्यप’
प्रारंभिक जांच से पता चला है कि कश्यप ने लोकप्रियता हासिल करने के लिए नकली वीडियो साझा किए। सच तक फाउंडेशन के बैंक खाते में लगभग 42.11 लाख रुपये पाए गए। ईओयू के अधिकारी ने मीडिया को बताया है कि पूछताछ के दौरान, हम यह पता लगाएंगे कि भ्रामक वीडियो को पोस्ट करने के पीछे लक्ष्य क्या था। क्या सरकार को बदनाम करना मनीष के एजेंडे में शामिल था? बेतिया के एसपी उपेंद्रनाथ वर्मा ने कहा कि कश्यप के खिलाफ अब तक पश्चिम चंपारण के मझौलिया और बेतिया शहर थानों में सात आपराधिक मामले दर्ज हैं। उनमें से पांच में उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया है। उन्होंने कहा कि वह पिछले दो साल से गिरफ्तारी से बच रहा था। मनीष कश्यप के ऊपर दंगा भड़काने, आपराधिक साजिश रचने और धोखाधड़ी के साथ जालसाजी का मुकदमा दर्ज किया गया है। कश्यप पर अपनी हथकड़ी वाली फोटो पोस्ट करने को लेकर भी मुकदमा दर्ज किया गया है।
‘महान बनने की जल्दीबाजी’
जानकार मानते हैं कि कश्यप को अपने पॉपुलर होने पर काफी गुमान था। कई बार वो खुद के वीडियो में शिक्षकों और अन्य लोगों से लड़ते हुए दिखता था। चीखते हुए, लोगों पर पत्रकारिता की धौंस दिखाते हुए। शिक्षकों से स्कूल में घुसकर बदतमीजी करते हुए। ये सारे फैक्टर उसके फंसने के कारण बने। राजधानी पटना के पत्रकार कहते हैं कि ज्यादा तेज बनने का यही नतीजा होता है। कई पत्रकारों ने सोशल मीडिया पर मनीष कश्यप की गिरफ्तारी के बाद तस्वीर पोस्ट की है। जिसमें वो शांतचित बैठा हुआ है। बिल्कुल किसी शांत बच्चे की तरह। इधर, सोशल मीडिया पर मनीष कश्यप के ऊपर वीडियो बनाने वालों की बाड़ आ गई है। मनीष की तरह चीखने-चिल्लाने वाले कई कथित रिपोर्टर अब मनीष कश्यप पर खबर चलाकर क्लिक और लाइक लूट रहे हैं। राजधानी पटना के पत्रकारों का मानना है कि ऐसे फर्जी खबर देने वाले और पत्रकारिता को बदनाम करने वालों पर रोक लगनी चाहिए। केंद्र सरकार को अब यूट्यूब को लेकर रेगुलेशन बनाना चाहिए। एडीजी (ईओयू) नय्यर हसनैन खान कहते हैं कि कश्यप से पूछताछ की जाएगी। हालांकि, उसने आत्मसमर्पण कर दिया है। उसकी खोज में टीम दिल्ली और एनसीआर भी गई थी। गिरफ्तारी के लिए छह टीम लगाई गई थी। अब उसने खुद ही सरेंडर कर दिया है, तो पूछताछ होगी।
‘मनीष कश्यप पर लंबे लपेटे में गए’
मनीष कश्यप के साथ तीन अन्य लोगों पर एक मनगढ़ंत वीडियो बनाने के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। इसमें बिहार के प्रवासी मजदूरों को कथित तौर पर स्थानीय तमिलों द्वारा पिटाई करते देखा गया था। जांच में सोशल मीडिया पर अपलोड किए गए वीडियो फर्जी निकले। इसके बाद बिहार पुलिस ने उनके खिलाफ दो प्राथमिकी दर्ज की थी। अब तक बिहार पुलिस ने मामले में आरोपी राकेश रंजन कुमार, मनीष कश्यप और अमन कुमार को गिरफ्तार किया है और चौथा आरोपी युवराज सिंह फरार है। ईओयू ने छह मार्च को इस मामले में पहली प्राथमिकी दर्ज की थी और कश्यप समेत चार लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। ईओयू के अधिकारी इस मामले में जमुई से अमन कुमार नामक एक व्यक्ति को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी थी। पहली प्राथमिकी में जिन लोगों के नाम हैं उनमें अमन कुमार, राकेश तिवारी, युवराज सिंह राजपूत और मनीष कश्यप शामिल थे। इस मामले में अपर पुलिस महानिदेशक जेएस गंगवार ने पिछले सप्ताह बताया था कि ईओयू द्वारा की गई जांच से पता चला है कि तमिलनाडु में प्रवासियों की हत्या किए जाने और उन्हें पीटे जाने के 30 फर्जी वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किए गए थे जिससे बिहार के प्रवासी श्रमिकों को घबराहट में तमिलनाडु से पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इनपुट-एजेंसी