यशस्वी काफी किया है स्ट्रगल
यशस्वी जायसवाल का जीवन संघर्षाें से भरा रहा है। कम ही लोग जानते हैं कि मुश्किल वक्त में यशस्वी अपना खर्च चलाने के लिए मुंबई के आजाद मैदान पर गोलगप्पे बेचते थे। इस बारे में उन्होंने एक बार बात करते हुए कहा था कि मुझे यह अच्छा नहीं लगता था क्योंकि जिन लड़कों के साथ मैं क्रिकेट खेलता था, जो सुबह मेरी तारीफ करते थे, वही शाम को मेरे पास गोलगप्पे खाने आते थे। यशस्वी के अनुसार उन्हें ऐसा करने पर बहुत बुरा लगता था लेकिन उन्हें यह करना पड़ा क्योंकि उन्हें जरूरत थी।
भदोही ये मुंबई आ गए
यशस्वी सिर्फ 11 साल के थे जब उन्होंने उत्तर प्रदेश के छोटे से जिले भदोही से मुंबई तक का सफर किया था और उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, ‘मैं सिर्फ यही सोचकर आया था कि मुझे बस क्रिकेट खेलना है और वह भी सिर्फ और सिर्फ मुंबई से।’ यशस्वी ने बताया था कि जब एक टेंट में रहते हैं तो आपके पास बिजली, पानी, बाथरूम जैसी सुविधाएं भी नहीं होती।
एक दिन जब यशस्वी खेल रहे थे तो ज्वाला सिंह नाम के एक कोच ने उन्हें बल्लेबाजी करते देखा। युवा की प्रतिभा से प्रभावित होकर उन्होंने यशस्वी जायसवाल को मुफ्त में ट्रेनिंग देने का फैसला किया। उन्होंने यशस्वी को अपने घर में रहने का प्रस्ताव भी दिया और उनकी पूरी जिम्मेदारी ली। तब से इस बल्लेबाज ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 2020 अंडर-19 वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज थे और प्लेयर ऑफ द सीरीज का अवॉर्ड जीता था। उनके नाम विजय हजारे ट्रॉफी में मुंबई के लिए दोहरा शतक भी है।