बच्चों संग मम्मी-पापा भी परीक्षा में हुए पास, बड़ी दिलचस्प है यह कहानी

अहमदाबाद/ शांतिपुर: कहा जाता है कि कुछ करने या सीखने के लिए उम्र की कोई सीमा नहीं होती। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है ऐसे माता- पिता ने जिन्होंने बेटों के साथ दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पास की है। देश के दो कोनों से आई इस खबर ने सदियों पुरानी कहावत को साबित कर दिया है। बंगाल में तीन बच्चों की 38 वर्षीय मां ने तो वहीं दूसरी ओर गुजरात में स्कूल के चपरासी रहे पिता ने बच्चों के साथ परीक्षा पास की है। इन दोनों ही वाकयों में गरीबी के चलते पढ़ाई छोड़ने का कारण सामने आया है। इसके बाद दोनों ही माता-पिता की इच्छा शक्ति की जमकर तारीफ हो रही है।

मां लतिका ने बेटे सौरव को पछाड़ा

बुधवार को घोषित हायर सेकेंडरी के नतीजों में बंगाल के नादिया की रहने वाली लतिका ने बेटे सौरव से 40 अंक ज्यादा हासिल किए। मां की दरियादिली दिखाते हुए लतिका ने कहा, ‘बेहतर होता, अगर मेरे बेटे को मुझसे ज्यादा अंक मिलते। सौरव के 284 के मुकाबले मां लतिका ने 500 में से 324 नंबर हासिल किए हैं। मां की पुरानी बीमारी के चलते लतिका को कक्षा 6 के बाद की पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। लतिका की शादी को 19 साल हो चुके हैं और उनके पति राज मिस्त्री का काम करते हैं। लतिका की दो बेटियां भी हैं। पढ़ाई फिर से शुरू करने का फैसला लेने के बाद लतिका ने ओपन स्कूल मॉड्यूल के माध्यम से माध्यमिक परीक्षा उत्तीर्ण की।

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कैसा रहा लतिका का अनुभव

लतिका ने कहा कि ‘मेरे बेटे के परीक्षा (प्री-बोर्ड) के परिणाम अच्छे नहीं थे। इसलिए मुझे बेटे के साथ बैठकर पढ़ाई करनी पड़ी। मेरे साथ पढ़ने के कारण उसे और अधिक ध्यान देना पड़ा। लतिका के मुताबिक अपना काम खत्म करने के बाद उनके पास पढ़ाई के लिए कोई निश्चित समय नहीं था। वह कहती हैं कि जब भी मुझे मौका मिला मैंने अध्ययन किया। हालांकि यह ज्यादातर रात में ही होता था। लतिका नरसिंहपुर उच्च विद्यालय की छात्रा थीं। जबकि बेटा सौरव दूसरे कलना महाराजा स्कूल के छात्र थे।

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बेटे के स्कूल टीचर्स ने पापा को दी एक्स्ट्रा क्लास

दूसरी कहानी कोलकाता से करीब 2,000 किमी दूर अहमदाबाद की है। जहां बेटे के स्कूल टीचर्स ने पापा को पढ़ाई के लिए एक्स्ट्रा क्लास दी।वीरभद्रसिंह सिसोदिया ने बेटे युवराजसिंह की मदद से कड़ी मेहनत के बाद पहले प्रयास में दसवीं की परीक्षा पास कर ली। वीरभद्रसिंह 45% अंकों के साथ पास हुए जबकि उनके बेटे ने 79% अंक हासिल किए। 1998 में आर्थिक तंगी के चलते वीरभद्र ने पढ़ाई छोड़ दी थी। अपने परिवार को कमाने और सहारा देने के लिए मजबूर वीरभद्र शुरू से ही पढ़ाई करना चाहते थे। लेकिन नौकरी और घर की जिम्मेदारियों ने उन्हें अब तक मौका नहीं मिल पाया था।

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बेटे युवराज को लेकर बोले वीरभद्र

बेटे संग परीक्षा पास करने वाले गौरवान्वित पिता ने कहा, ‘मेरे बेटे युवराजसिंह ने मुझे खासा दिक्कतों के बाद भी शोध के जरिए निर्देशित किया। मेरे बेटे के साथ अध्ययन करना एक ऐसा अनुभव रहा है जिसे मैं जीवन भर संजो कर रखूंगा।हालांकि युवराजसिंह के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि उनके पिता में कक्षा 12 पास करने की इच्छा को फिर से जगाना” है। युवराजसिंह खुद एक सीए बनने की इच्छा रखते हैं।

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