ब्रिटेन में 2021 में जनगणना को लेकर एक ऑनलाइन सर्वे किया गया था। जिसके आंकड़े अब धीरे-धीरे जारी किए जा रहे हैं। अभी विभिन्न धार्मिक समूहों से संबंधित आकड़ों का विश्लेषण जारी हुआ है।
International
oi-Anjan Kumar Chaudhary

ब्रिटेन
में
2021
में
जनगणना
पर
एक
सर्वे
किया
गया
था,
जिसके
आंकड़े
धीरे-धीरे
जारी
किए
जा
रहे
हैं।
इसमें
वहां
रहने
वाले
विभिन्न
धार्मिक
समूहों
को
लेकर
कुछ
तुलनात्मक
आंकड़े
जारी
किए
गए
हैं,
जिससे
पता
चलता
है
कि
बाकी
समुदायों
की
तुलना
में
ईसाइयों
की
औसत
उम्र
ज्यादा
है
और
उनका
स्वास्थ्य
भी
कमजोर
रहता
है।
वहीं
इस
सर्वे
में
हिंदुओं
के
अधिक
स्वस्थ
और
शिक्षित
होने
और
अधिकतर
सिखों
के
पास
अपना
घर
होने
का
पता
चला
है।
जबकि,
मुस्लिम
समुदाय
के
बारे
में
यह
पता
चला
है
कि
उनके
घरों
में
सदस्यों
की
संख्या
तुलनात्मक
रूप
से
ज्यादा
है।

ब्रिटेन
में
जनसंख्या
पर
सर्वे
रिपोर्ट
ब्रिटेन
में
रहने
वाले
हिंदू
स्वस्थ
और
शिक्षित
धार्मिक
समूहों
में
शामिल
हैं,
जबकि
अधिकतर
सिखों
के
पास
अपना
घर
है।
इंग्लैंड
और
वेल्स
की
ताजा
जनगणना
आंकड़ों
के
मुताबिक
यह
जानकारी
सामने
आई
है।
ब्रिटेन
के
ऑफिस
फॉर
नेशनल
स्टैटिस्टिक्स
(ONS)ने
देश
के
विभिन्न
समुदायों
की
जनसंख्या
पर
आधारित
यह
ऑनलाइन
डेटा
मार्च
2021
में
जुटाया
था।
इस
हफ्ते
‘रिलिजन
बाय
हाउसिंग,
हेल्थ,
एम्पलॉयमेंट
एंड
एजुकेशन’
के
शीर्षक
से
जारी
रिलीज
में
ओएनएस
ने
बताया
है
कि
ऐसे
मामलों
में
विभिन्न
धार्मिक
समूहों
में
काफी
अंतर
पाया
गया
है।

हिंदू
ज्यादा
स्वस्थ
और
शिक्षित-सर्वे
2021
में
यह
आंकड़े
जुटाए
जाने
के
वक्त
ज्यादातर
हिंदुओं
(87.8%)
ने
कहा
कि
उनका
स्वास्थ्य
‘बहुत
अच्छा’
और
‘अच्छा’
है।
जबकि
कुल
आबादी
में
यह
प्रतिशत
82
था।
यही
नहीं,
जिन्होंने
खुद
की
पहचान
हिंदू
बताई
थी,
उनमें
दिव्यांगता
का
प्रसार
भी
बहुत
कम
दर्ज
किया
गया।
इस
आंकड़े
के
मुताबिक
हिंदुओं
में
सबसे
ज्यादा
‘लेवल
4
या
इससे
ज्यादा
‘योग्यता
(54.8%)
दर्ज
की
गई,
जबकि
कुल
आबादी
में
यह
प्रतिशत
सिर्फ
33.8
ही
रहा
है।

अधिकतर
सिखों
के
पास
अपना
घर-
रिपोर्ट
वहीं
जहां
तक
सिख
के
तौर
पर
अपनी
पहचान
बताने
वाली
आबादी
की
बात
है
तो
इनमें
से
अधिकतर
के
पास
अपना
घर
होने
की
संभावना
यानि
77.7%
है।
इस
जनगणना
में
धर्म
का
प्रश्न
स्वैच्छिक
था
और
इंग्लैंड
और
वेल्स
की
5.6
करोड़
वाली
कुल
आबादी
में
से
94%
ने
ही
इस
सवाल
का
जवाब
दिया
है।
हालांकि,
ओएनएस
का
कहना
है
कि
इस
विश्लेषण
के
लिए
जुटाए
गए
आंकडों
में
कई
सारे
जवाब
धार्मिक
समूहों
की
उम्र
और
सेक्स
प्रोफाइल
से
प्रभावित
हो
सकते
हैं।
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हिंदी
मुस्लिमों
के
घरों
में
ज्यादा
भीड़-
सर्वे
लेकिन,
जब
बात
ब्रिटेन
की
मुस्लिम
आबादी
की
आती
है
तो
यह
आंकड़े
कुछ
अलग
तस्वीर
पेश
कर
रहे
हैं।
इसके
अनुसार
2021
में
जिन
लोगों
ने
खुद
को
मुसलमान
बताया,
उनके
इंग्लैंड
और
वेल्स
की
कुल
आबादी
की
तुलना
में
ज्यादा
भीड़
वाले
घरों
में
रहने
की
संभावना
तकरीबन
चार
गुना
ज्यादा
थी।
यही
नहीं
इसके
मुताबिक
16
से
64
आयु
वर्ग
के
मुसलमानों
में
सबसे
कम
लोगों
के
पास
रोजगार
(सिर्फ
51.4%)था।
जबकि,
कुल
आबादी
में
रोजगार
में
लगे
लोगों
की
संख्या
70.9%
थी।
ईसाइयों
की
औसत
उम्र
51
साल-
रिपोर्ट
लेकिन,
जिन
लोगों
ने
खुद
को
ईसाई
धार्मिक
समूह
से
बताया,
उनकी
उम्र
प्रोफाइल
ज्यादा
थी
और
कुल
आबादी
की
तुलना
में
उनके
स्वास्थ्य
की
स्थिति
कमजोर
थी।
लेकिन,
ईसाइयों
की
ज्यादातर
आबादी
अपने
घरों
में
रहती
थी।
ईसाइयों
की
औसत
उम्र
जहां
51
साल
दर्ज
की
गई,
वहीं
कुल
आबादी
में
औसत
उम्र
40
साल
थी।
2021
की
जनगणना
सर्वे
में
इंग्लैंड
और
वेल्स
के
2.4
करोड़
से
ज्यादा
परिवारों
ने
हिस्सा
लिया।
ओएनएस
इस
सर्वे
के
आंकड़े
चरणों
में
जारी
कर
रहा
है।
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जाएगा
इससे
पहले
जो
जानकारी
उपलब्ध
कराई
गई
थी,
उसके
मुताबिक
जिन
लोगों
ने
खुद
की
पहचान
ईसाई
बताई
थी,
ऐसा
पहली
बार
हुआ
है
कि
उनकी
आबादी
कुल
आबादी
की
आधी
से
कम
रह
गई
है।
वहीं
हिंदुओं,
मुसलमानों
और
सिखों
की
संख्या
में
हल्की
बढ़ोतरी
देखी
गई
है।
(इनपुट-
पीटीआई)
English summary
There has been a survey about the population in Britain, in which data has been collected from different religious communities. According to this, Hindus are more educated and healthy there, while Sikhs more prosperous