चीन की मध्यस्थता में ईरान और सऊदी अरब के बीच सात सालों के बाद राजनयिक संबंध स्थापित हुए हैं, जिसे खाड़ी देशों में अमेरिका के घटते वर्चस्व के तौर पर देखा जा रहा है।
International
oi-Abhijat Shekhar Azad

Iran
on
India:
ईरानी
राजदूत
इराज
इलाही
ने
शुक्रवार
को
कहा
है,
कि
चीन
की
मध्यस्थता
में
ईरान
और
सऊदी
अरब
के
बीच
राजनिय
संबंध
पुनर्जीवित
हो
गये
हैं
और
ये
सौदा
भारत
के
लिए
चिंता
का
विषय
नहीं
होना
चाहिए,
क्योंकि
यह
समझौता
क्षेत्रीय
स्थिरता
प्रदान
करेगा
और
नई
दिल्ली
के
हितों
के
लिए
भी
फायदेमंद
होगा।
इस
समझौते
के
तहत,
ईरान
और
सऊदी
अरब
ने
पिछले
सात
सालों
के
बाद
फिर
से
अपने
संबंधों
की
बहाली
की,
जो
एक
कड़वे
विवाद
के
बाद
खत्म
हो
गया
था।
ईरान
और
सऊदी
अरब
के
बीच
हुआ
ये
समझौता
पूरी
दुनिया
के
लिए
सबसे
बड़ी
हेडलाइन
है
और
इसके
कई
राजनीतिक
मायने
निकाले
जा
रहे
हैं,
जिसमें
एक
मायने
खाड़ी
देशों
से
अमेरिका
का
प्रभाव
खत्म
होने
से
भी
जोड़ा
जा
रहा
है,
लेकिन
भारत
की
भी
इस
समझौते
पर
नजर
रही
है।

भारत
पर
क्या
बोला
ईरान
ईरान
के
राजदूत
ने
कहा,
कि
“मुझे
लगता
है
कि
यह
(समझौता)
भारत
के
लिए
चिंता
का
विषय
नहीं
होना
चाहिए।
यह
भारत
के
लिए
फायदेमंद
होगा,
क्योंकि
यह
फारस
की
खाड़ी
क्षेत्र
में
स्थिरता
और
शांति
को
बढ़ाने
में
मदद
करेगा।”
दूत
ने
पत्रकारों
के
एक
समूह
को
बताया,
कि
‘इसलिए
चीन
की
मध्यस्थता
में
जो
कुछ
भी
किया
गया
है,
उसके
बावजूद
यह
भारत
के
लिए
फायदेमंद
होगा।’
आपको
बता
दें,
कि
ईरान
और
सऊदी
अरब
के
बीच
किए
गये
इस
समझौते
ने
पूरी
दुनिया
के
साथ
साथ
नई
दिल्ली
में
भी
राजनयिक
हलकों
को
आश्चर्यचकित
कर
दिया
था।
वहीं,
ईरानी
राजदूत
इलाही
ने
कहा,
कि
“खाड़ी
क्षेत्र
में
शांति
और
स्थिरता
से
भारतीय
प्रवासियों
को
भी
लाभ
होगा,
इसके
अलावा
आर्थिक
जुड़ाव
भी
बढ़ेगा,
जिसमें
क्षेत्र
के
विभिन्न
देशों
के
साथ
भारत
के
व्यापार
संबंध
शामिल
होंगे”।

भारत
ने
की
समझौते
की
तारीफ
भारत
ने
गुरुवार
को
समझौते
का
स्वागत
करते
हुए
कहा,
कि
उसने
हमेशा
मतभेदों
को
सुलझाने
के
लिए
बातचीत
और
कूटनीति
की
वकालत
की
है।
भारतीय
विदेश
मंत्रालय
के
प्रवक्ता
अरिंदम
बागची
ने
कहा,
कि
“हमने
इस
संबंध
में
रिपोर्ट
देखी
है।
पश्चिम
एशिया
के
विभिन्न
देशों
के
साथ
भारत
के
अच्छे
संबंध
हैं
और
उस
क्षेत्र
में
हमारे
गहरे
हित
हैं”।
बागची
ने
चीन
की
भूमिका
का
उल्लेख
किए
बिना
कहा,
कि
“भारत
ने
हमेशा
मतभेदों
को
सुलझाने
के
तरीके
के
रूप
में
बातचीत
और
कूटनीति
की
वकालत
की
है।”
वहीं,
यह
पूछे
जाने
पर,
कि
क्या
तेहरान
सौदे
के
तहत
अब
सऊदी
अरब
ईरान
में
निवेश
के
रास्ते
खोजेगा?
ईरान
के
राजदूत
इलाही
ने
कहा,
कि
वह
सऊदी
अरब
और
संयुक्त
अरब
अमीरात
(यूएई)
दोनों
के
साथ
व्यापार
संबंधों
के
विस्तार
की
उम्मीद
कर
रहा
है।
आपको
बता
दें,
कि
अमेरिकी
प्रतिबंधों
ने
ईरान
को
आर्थिक
संकट
में
फंसा
रखा
है,
लिहाजा
सऊदी
अरब
से
हुआ
ये
समझौता
ईरान
के
लिए
संजीवनी
साबित
हो
सकता
है।
वहीं,
2021
में
चीन
ने
ईरान
के
साथ
अगले
कुछ
सालों
में
400
अरब
डॉलर
के
निवेश
को
लेकर
भी
समझौता
किया
था,
लिहाजा
कुछ
एक्सपर्ट्स
का
मानना
है,
कि
ईरान
और
भारत
के
संबंध
चीन
की
वजह
से
उतने
मजबूत
नहीं
रह
सकते
हैं।

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हिंदी
निवेश
की
तलाश
कर
रहा
है
ईरान
ईरानी
राजदूत
ने
कहा
है,
कि
“हम
न
केवल
सऊदी
अरब
से,
बल्कि
संयुक्त
अरब
अमीरात
से
भी
निवेश
की
उम्मीद
कर
रहे
हैं।
हम
मानते
हैं,
कि
यह
क्षेत्र
एक
महत्वपूर्ण
प्वाइंट
पर
है।
पूरे
क्षेत्र
–
ईरान,
सऊदी
अरब,
संयुक्त
अरब
अमीरात
और
विभिन्न
अरब
राज्यों
को,
अब
एक
समझ
है,
कि
यह
समझौता
उनके
लिए
फायदेमंद
होगा,
और
वे
आपस
में
अंतर
को
पाटें
और
भविष्य
के
लिए
योजना
बनाएं।
हालंकि,
उन्होंने
ये
भी
कहा,
कि
“सऊदी
अरब
की
एक
बड़ी
अर्थव्यवस्था
है।
यह
जी20
का
सदस्य
है
और
उसके
पास
ईरान
में
निवेश
करने
के
लिए
पर्याप्त
धन
है,
लेकिन
इस
मुद्दे
पर
फैसला
करना
जल्दबाजी
होगी”।
वहीं,
चाबहार
बंदरगाह
को
लेकर
ईरानी
दूत
ने
कहा,
कि
ईरान
का
मानना
है
कि
भारत
सरकार
का
इसके
प्रति
सकारात्मक
दृष्टिकोण
है।
उन्होंने
कहा,
‘बेशक
दोनों
तरफ
से
कमियां
हैं।
हम
चाबहार
के
प्रति
भारत
सरकार
की
इच्छा
को
समझते
हैं।
हमारा
मानना
है
कि
चाबहार
सिर्फ
एक
आर्थिक
मुद्दा
नहीं
है’।
राजदूत
ने
कहा,
कि
चाबहार
बंदरगाह
परियोजना
को
केवल
आर्थिक
साझेदारी
के
रूप
में
नहीं,
बल्कि
एक
रणनीतिक
जुड़ाव
के
रूप
में
देखने
की
आवश्यकता
है’।
अमेरिका-रूस
के
बीच
की
शांति
समझौता
करवा
सकता
है
भारत,
जानिए
पीएम
मोदी
से
ही
क्यों
हैं
उम्मीदें?
English summary
‘India should not worry’, know why Iran said this after friendship with Saudi Arabia?