भूल जाएंगे वंदे भारत और बुलेट ट्रेन, जब पटरी पर दौड़ेगी ‘हवा’ से चलने वाली ट्रेन

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे (Indian Railway) लगातार विस्तार कर रहा है। लगातार वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat Trains) की संख्या बढ़ाई जा रही है। बुलेट ट्रेन (Bullet Train) का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन इस साल के अंत तक ऐसी ट्रेन चलने वाली है, जिसे देखकर आप बाकी ट्रेनों को भूल जाएंगे। ‘हवा’ यानी हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन दिसंबर 2023 से शुरू होने वाली है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के मुताबिक ग्रीन इनीशिएटिव्स को बढ़ावा देने के लिए हाइड्रोजन ट्रेनों (Hyderogen Train) को चलाया जा रहा है। आधुनिक सुविधाओं से लैस हाइड्रोजन ट्रेन की शुरुआत होने के बाद रेल से सफर का नजरिया पूरी तरह से बदल जाएगा।

क्या है हाइड्रोजन ट्रेन

हाइड्रोजन ट्रेन हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाली ट्रेन है। इस रेलगाड़ियों में डीजल इंजन के बजाए हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स लगाए जाते है। ये ट्रेनें कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन या पर्टिकुलेट मैटर जैसे हानिकारक प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं होता। इन ट्रेनों के चलने से प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। हाइड्रोजन फ्यूल सेल्स की मदद से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन को बदलकर बिजली पैदा की जाती है। इसी बिजली का इस्तेमाल ट्रेन को चलाने में किया जाता है।


क्या है इस ट्रेन की खासियत

  • हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेनों को हाइड्रेल भी कहते है।
  • इस ट्रेन की खासियत की बात करें तो ये ट्रेन बिना धुआं छोड़े दौड़ेगी, जिससे प्रदूषण नहीं होगा।
  • इस ट्रेन में 4 कोच होंगे। सबसे पहले ये ट्रेन हरियाणा के जींद और सोनीपत के बीच चलेगी।
  • इसके बाद दार्जिंलिंग हिमालयन रेलवे, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, माथेरान रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वाघई और मारवाड़-देवगढ़ मदारिया रूट पर चलेगी।
  • ये ट्रेन 140 किमी/घंटे की रफ्तार से 1000 किमी दौड़ सकती है। हालांकि भारत में चलने वाली ये ट्रेने फिलहाल 100 किमी की दूरी तय करेगी।
  • रेलवे के कपूरथला और इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में इन ट्रेनों को तैयार किया जा रहा है।

डीजल इंजन के मुकाबले महंगी ट्रेनें

हाइड्रोजन ट्रेनें डीजल से चलने वाली ट्रेनों के मुकाबले काफी महंगी है। रिसर्च और रेटिंग एजेंसी आईसीआरए के मुताबिक ग्रीन हाइड्रोजन का खर्च 492 रुपये प्रति किलोग्राम है। डीजल के मुकाबले हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन 27 फीसदी अधिक होगा। जर्मनी में सबसे पहले हाइड्रोजन ट्रेनों का संचालन किया गया। वहां कोराडिया आईलिंट ट्रेन चलाती है, जो हाइड्रोजन फ्यूल सेल से दौड़ती है। फ्रांस की कंपनी एल्सटॉम ने दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन तैयार किया है। दो साल के टेस्ट रन के बाद साल 2018 में इसे यात्रियों के लिए खोल दिया गया। जर्मनी के बाद अब भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेनें दौड़ेने वाली है।

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