पाकिस्तान को इतिहास के सबसे गंभीर आर्थिक संकट से उबारने के लिए अब सभी की नजरें सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर की ओर हैं। एक अधिकारी ने पाकिस्तानी अखबार से कहा कि अब देश के पास खाड़ी क्षेत्र से द्विपक्षीय भागीदारों की ओर से सिफारिश का इंतजार करने और दुआ करने का अलावा और कोई रास्ता नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार आईएमएफ को इस शर्त को वार्ता में शामिल करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
आईएमएफ ने सब कुछ पाकिस्तान पर डाला
इन देशों के प्रतिनिधियों ने सातवीं और आठवीं समीक्षा की मंजूरी से पहले पाकिस्तान को अलग-अलग तरह से वित्तीय सहायता मुहैया कराने का वादा किया था। इनमें अतिरिक्त जमा और निवेश शामिल थे। हालांकि चालू वित्त वर्ष में कई महीने बीत जाने के बावजूद वे अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने में विफल रहे हैं। सूत्रों ने गुरुवार को अखबार को बताया, ‘अब आईएमएफ ने स्टाफ लेवल एग्रीमेंट पर साइन करने की दिशा में आगे बढ़ने से पहले द्विपक्षीय भागीदारों से 100 प्रतिशत प्रतिबद्धता हासिल करने के लिए सब कुछ पाकिस्तान पर डाल दिया है।’
दोस्त बने आईएमएफ समझौते में सबसे बड़ा रोड़ा
आईएमएफ ने पाकिस्तान को बताया कि अगर स्टाफ लेवल एग्रीमेंट को अंतिम रूप दिया जाता है और पाकिस्तान द्विपक्षीय भागीदारों से अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहता है तो उसकी विश्वसनीयता पर असर पड़ सकता है। यह देश को डिफॉल्ट होने की तरफ ढकेल सकता है। आईएमएफ उन कारणों का पता लगाना चाहता है कि पाकिस्तान के द्विपक्षीय साझेदार अपनी पहले की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के इच्छुक क्यों नहीं हैं। सूत्रों ने कहा कि ऐसे हालात में सऊदी अरब, यूएई और कतर की मंजूरी ही इस्लामाबाद को एक स्टाफ लेवल एग्रीमेंट में मदद कर सकती है।