विपक्ष के सपनों पर ‘सुप्रीम’ प्रहार का कारण जानिए, कैसे हाई कोर्ट से मिल रहा विपक्ष को झटका!

पटना: नीतीश कुमार कांग्रेस की सलाह पर विपक्ष को एकजुट करने में लगे हैं। लगातार विपक्षी नेताओं से जा-जा कर वे मिल रहे हैं। कुछ दल तो उत्साहित होकर साथ आने का आश्वासन दे रहे हैं तो कुछ साफ-साफ कुछ नहीं कह रहे। कुछ तो आधे-अधूरे मन से टरका देते हैं। दिल्ली के सीएम और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने आधे-अधूरे मन से विपक्षी गोलबंदी में शामिल होने का भरोसा दिया है तो नवीन पटनायक ने साफ मना कर दिया। शरद पवार ने नेतृत्व करने का नीतीश का प्रस्ताव अपनी उम्र का हवाला देकर खारिज कर दिया। अलबत्ता साथ देने का जरूर आश्वासन दिया है। दो हिस्सों में बंट चुकी शिवसेना के एक गुट के नेता उद्धव ठाकरे नीतीश के प्रस्ताव के साथ खड़े होने का वादा कर चुके हैं। एकता दिखाते हुए कई मुद्दों को लेकर विपक्षी नेता या उनके समर्थक सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट तक जाते रहे हैं। हाल के दिनों में कम से कम दो मुद्दों पर विपक्ष को जबरदस्त झटका लगा है।

पीएम मोदी ही करेंगे नये संसद भवन का उद्घाटन

नये संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी दल अभी आमने-सामने हैं। विपक्ष के 20 दलों को इस बात पर आपत्ति है कि संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्यों कर रहे हैं। उनका तर्क है कि संवैधानिक भवन होने के कारण राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से उद्घाटन कराना चाहिए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल भी दाखिल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया। यानी उद्घाटन के निर्धारित कार्यक्रम में कोई व्यवधान नहीं होगा। विपक्षी दलों ने पहले से ही उद्घाटन समारोह के बायकाट की घोषणा कर रखी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विपक्ष अब किस मुंह से बायकाट को जायज ठहरायागा ?

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भ्रष्टाचार की जांच रोकने के लिए भी गए थे SC

इसके पहले भी विपक्ष ने 14 नेताओं का गिरोह बना कर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। विपक्ष को इस बात पर आपत्ति थी कि केंद्र सरकार सीबीआई-ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं के खिलाफ कर रही है। सुप्रीम कोर्ट से तब भी विपक्षी नेताओं को सुप्रीम झटका लगा। सर्वोच्च अदालत ने एजेंसियों की कार्रवाई रोकने से साफ मना कर दिया। प्रसंगवश यह भी बता देना चाहिए कि ममता बनर्जी के भतीजे सांसद अभिषेक बनर्जी भी नियुक्ति घोटाले में ईडी की पूछताछ से बचने के लिए पहले हाईकोर्ट और बाद में सुप्रीम कोर्ट गए थे। दोनों जगहों से उन्हें निराशा हाथ लगी। हाईकोर्ट ने एजेंसियों को उनसे पूछताछ की इजाजत दे दी। उसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने आज ही इस मामले पर फैसला सुना दिया। यानी विपक्ष के एक बड़े दल टीएमसी को यहां भी बड़ा झटका लगा है। यानी एक ही दिन विपक्ष को दो झटके लगे हैं। संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराने की मांग करने वाली जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की तो ईडी की पूछताछ से बचने की छूट अभिषेक बनर्जी को नहीं मिली।

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विपक्षी नेता पटनायक व मायावती बीजेपी के साथ

एक तरफ विपक्ष के 20 दल उद्घाटन समारोह के बायकाट पर अड़े हुए हैं तो दूसरी तरफ विपक्ष के दो दल बीजेपी के साथ आने का ऐलान कर चुके हैं। बीजू जनता दल (बीजद) के नेता और ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक ने समारोह में शामिल होने की बात कही है। यूपी की पूर्व सीएम और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की नेता मायावती ने भी उद्घाटन समारोह के बायकाट के फैसले को बेकार बताया है। यानी उनकी पार्टी भी उद्घाटन समारोह में शामिल होगी।

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नीतीश और केजरीवाल घूम-घूम नेताओं से मिल रहे

विपक्षी नेताओं से बिहार के सीएम नीतीश कुमार और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल अलग-अलग मिल रहे हैं। दोनों का मकसद अलग-अलग है। केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ अरविंद केजरीवाल विपक्ष को गोलबंद कर रहे हैं तो नीतीश कुमार बीजेपी को देश से भगाने के लिए विपक्षी नेताओं को एकजुट कर रहे हैं। एकता दर्शाने के लिए गैर जरूरी मुद्दों से भी विपक्ष को परहेज नहीं है। तभी तो कभी उद्घाटन समारोह के बायकाट का फैसला विपक्ष करता है तो कभी ईडी-सीबीआई की विपक्षी नेताओं के खिलाफ कार्रवाई के खिलाफ कोर्ट की शरण में जाता है।
रिपोर्ट- ओमप्रकाश अश्क

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