Bekar Chaiwala in Sitamarhi : ‘बेकार चायवाला’ अनोखे नाम वाला यह दुकान बिहार के सीतामढ़ी में है। तीन ग्रेजुएट दोस्तों ने मिलकर टी स्टॉल खोला है। तीनों दोस्तों का मानना है कि जॉब सीकर नहीं, जॉब प्रोड्यूसर बनकर अपने साथ दूसरों के जीवन में भी खुशियां बिखेरी जा सकती है।

हाइलाइट्स
- सीतामढ़ी में तीन ग्रेजुएट दोस्तों की ‘बेकार चायवाला’
- ‘बेकार चायवाला’ नाम से स्टार्टअप की शुरुआत
- जॉब सीकर नहीं, जॉब प्रोड्यूसर बनना है
- हर दिन करीब 400 कप चाय की बिक्री
प्रतिदिन करीब 400 कप चाय की बिक्री
‘बेकार चाय’ अनोखे नाम वाला यह दुकान सीतामढ़ी जिला मुख्यालय स्थित ‘मर्यादा पथ’ में है। इसी पथ में डीएम और सीजेएम का आवास के आलावा पीएचसी, प्रधान डाकघर, सहकारिता बैंक, पुलिस पदाधिकारी क्लब, सिविल कोर्ट, समाहरणालय समेत अन्य भवन है। इस पथ से गुजरने वाले हर राहगीर की नजर एक बार ‘बेकार चाय’ के स्टॉल जरूर ही चली जाती है। चाय की दुकान पर दिनभर ग्राहकों की भीड़ लगी रहती है। सुबह से ही चाय के शौकीनों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है। गौरतलब कि न्यू आइडिया के साथ ‘बेकार चायवाला’ का स्टॉल चलाने वाले ये तीन ग्रेजुएट हैं आशुतोष झा, गौरव झा और सौरभ झा। तीनों बताते हैं कि प्रतिदिन करीब करीब 400 कप चाय की बिक्री हो जाती है।
इस सोच के साथ किया यह काम
तीनों मित्र की एक राय/सोच है। यूं कहे कि तीनों एक जिस्म तीन जान हैं। कहते हैं कि समाज में दो तरह के लोग होते हैं, एक जॉब करने वाले और दूसरे जॉब देने वाले। नौकरी कर कोई एक परिवार चलता है, तो रोजगार के सृजन से कई परिवार चलते हैं। इसी सोच के साथ चाय का यह स्टॉल खोला गया है। तीनों की दोस्ती बचपन से ही है। आशुतोष ने बताया कि उसके पिता पुलिस की सेवा से रिटायर हैं। मां की देखभाल के लिए एक कंपनी से एरिया ट्रेडिंग मैनेजर की नौकरी छोड़ दी थी। गौरव झा मगध विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी किये हैं। सौरभ झा गोयनका कॉलेज से अकाउंट ऑनर्स कर रहे हैं। साथ ही बैडमिंटन में अंडर 17 और अंडर 19 के डिस्ट्रिक्ट चैंपियन भी हैं।
नाम ‘बेकार’ बाकी सब खास: गौरव
गौरव झा ने बताया कि स्टाल का नाम ‘बेकार चायवाला’ रखा, ताकि लोगों का ध्यान स्टॉल की ओर आकर्षित हो सके। सिर्फ नाम ही बेकार है, बाकी सब खास है। आशुतोष झा बताते हैं कि अपने स्टॉल पर हाइजीन, क्लीननेस, विहेव और क्वालिटी का विशेष ध्यान रखते हैं। यही हमारी पहचान है। सौरव ने बताया कि चाय पीने के कप खा भी सकते हैं। यहां कुल्हड़ के साथ एडिबल टी कप ( खाने वाला कप) में चाय दिया जाता है। यह कप बंगाल से मंगवाते हैं। सौरव ने दावा किया कि ऐसी कप में इतनी सस्ती चाय कहीं नहीं मिलेगी। तीनों दोस्तों का कहना है कि वे हमेशा से अपना व्यवसाय करना चाहते थे। इसलिए उन लोगों ने ये स्टाल खोला है। दोस्तों की यह सोच है कि जिले के अन्य हिस्सों में भी स्टाल खोलें और अपनी टीम में अन्य बेरोजगार युवाओं को भी जोड़ें।
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