तो क्या नुर्शीद को अपने घर में विरोध का सामना नहीं करना पड़ता है? क्या माता-पिता, भाई-बहन उनकी सोच से खफा नहीं होते? वो कहते हैं, ‘नहीं, माता-पिता को कोई मतलब नहीं होता है, मैं क्या सोचता हूं। मेरी दो बहनें हैं। हम सब मुस्लिम ही हैं और नमाजी भी। मैं खुद भी नमाज पढ़ता हूं।’ नुर्शीद फिर जो कहते हैं, वो शायद ही किसी मुसलमान को गंवारा हो। वो कहते हैं ना, जले पर नमक छिड़कना, नुर्शीद ने वही किया। उन्होंने कहा, ‘दीन (धर्म) से ऊपर देश होता है।’ फिर वो पूछते हैं, ‘हम देश में पैदा होता हैं कि दीन में?’ उनसे अगला सवाल होता है, ‘आप मोदी को कब से जानते हैं?’ वो कहते हैं, नौ साल से तो जान ही रहा हूं जबसे वो देश के प्रधानमंत्री हैं। उनसे पहले भी उनके बारे में बहुत कुछ सुना करता था, ज्यादातर बुरी बातें ही।
नुर्शीद कहते हैं, ‘मैं जब मोदी की बुराइयां सुनता था तो पता करता था कि इनमें कितनी सच्चाई है। फिर सब साफ हो जाता कि मोदी के खिलाफ प्रॉपगैंडा चल रहा है, असल में वो खुदा नहीं तो खुदा जैसे हैं। देश के लिए उन्होंने जो किया, उसका बखान नहीं हो सकता है। जिस इंडिया को कोई पूछता नहीं था, उस इंडिया को आज हर कोई पूछता है।’ नुर्शीद आलम टीवी प्रोग्राम में मौलानाओं का सामना खुलकर करते हैं। वो कहते हैं कि मुसलमान बच्चों को सिर्फ दीन (धर्म) सिखाएगा, दुनिया की जानकारी नहीं देगा तो वो बच्चे पिछड़ेंगे ही। नुर्शीद की बातों से मौलाना को गुस्साना ही था, गुस्सा गए। उन्होंने युवक से इस्लाम पर सवाल करने लगे। नुर्शीद भी कहां मानने वाले- उन्होंने साफ कहा कि दीन से मुझे उतना ही मतलब है जितना होना चाहिए।