कॉरपोरेट गवर्नेंस रिसर्च एंड प्रॉक्सी एडवाइजरी फर्म Stakeholders Empowerment Services (SES) ने एक रिपोर्ट में कहा, ‘हिंडनबर्ग को जवाब देने के अलावा, अडानी को अपने स्टेकहोल्डर्स (इनवेस्टर्स और लेंडर्स) का ख्याल रखना चाहिए और चिंता के सभी क्षेत्रों का समाधान करना चाहिए।’ रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप को अपने खातों की किसी स्वतंत्र तीसरे पक्ष से करानी चाहिए और निवेशकों के भरोसे को बहाल करने में मदद मिलेगी। SES के मुताबिक अडानी ग्रुप की हर कंपनी अपने आप में सक्षम है और उनके पास कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त कैश है।
कर्ज और एसेट्स
SES के मुताबिक अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन (APSEZ) के पास अगले वित्त वर्ष तक कर्ज चुकाने के लिए पर्याप्त कैश है। 30 सितंबर 2022 तक के आंकड़ों के मुताबिक कंपनी की कुल एसेट्स एक लाख करोड़ रुपये की थी जबकि उस पर कर्ज 45,000 करोड़ रुपये से भी कम है। इसी तरह अडानी ग्रीन एनर्जी (Adani Green Energy) का कुल कर्ज 51,000 करोड़ रुपये और कुल एसेट बेस 62,000 करोड़ रुपये है। कंपनी को वित्त वर्ष 2025 तक 13,500 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है। ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइजेज (Adani Enterprises) का कर्ज 40,000 करोड़ रुपये है। उसे 2029 तक 17,000 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाना है। 2026 तक कंपनी के पास 12,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कैश आने की उम्मीद है। इस तरह उसे अपने कर्ज को चुकाने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
अडानी ग्रुप का कारोबार इन्फ्रास्ट्रक्चर, सीमेंट, डेटा सेंटर, पावर, एयरपोर्ट और पोर्ट समेत कई क्षेत्रों में फैला हुआ है। लेकिन हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट से यह हिल गया है। इसमें अडानी ग्रुप पर शेयरों की कीमत में हेराफेरी करने और अकाउंटिंग में धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया है। हालांकि ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया है और उन्हें दुर्भावनापूर्ण, आधारहीन और भारत पर हमला बताया है। लेकिन अडानी ग्रुप इनवेस्टर्स का भरोसा जीतने में नाकाम रहा है। पिछले एक महीने में ग्रुप के शेयरों में 80 फीसदी तक गिरावट आई है। मंगलवार को स्थिति में कुछ सुधार हुआ और अडानी ग्रुप के अधिकांश शेयर तेजी के साथ बंद हुए।