राजधानी में रविवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अतिक्रमण के खिलाफ अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की। जिला प्रशासन, पुलिस और निगम के सहयोग से तुगलकाबाद किले की जमीन पर बनीं 1248 अवैध झुग्गियों को तोड़ा गया। सुबह छह बजे से कार्रवाई शुरू हुई और देर शाम तक बुलडोजर चलते रहे। इस दौरान भारी संख्या में पुलिस बल के साथ आरएएफ की कई कंपनियां भी तैनात रहीं।
तुगलकाबाद एक्सटेंशन के नजदीक कार्रवाई वाली जगह बंगाली बस्ती पर आवागमन के सभी रास्ते बैरीकेड लगाकर बंद कर दिए गए थे। आंसू गैस के गोले फेंकने वाले आधुनिक वाहन, एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां मौके पर मौजूद थीं। इसके अलावा महिला पुलिस और सिविल डिफेंस कर्मियों की भी तैनाती भी की गई थी। ड्रोन से इस पूरे इलाके पर निगरानी रखी गई, लेकिन सुबह जब पुलिस और बुलडोजर पहुंचे तो लोगों ने कार्रवाई का विरोध किया, महिलाएं घरों से निकलने को तैयार नहीं थीं। कुछ लोग बुलडोजर के सामने आकर बैठ गए थे, इन्हें पुलिस ने बल पूर्वक हटाया और पक्की झुग्गियों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की। मौके पर करीब दर्जन भर बुलडोजर लगाए गए थे। फिलहाल, इस पूरी कार्रवाई को लेकर एएसआई के अधिकारियों ने कोई भी जानकारी देने से साफ मना कर दिया है।
सालों तक यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को 1995 में दिल्ली विकास प्राधिकरण से तुगलकाबाद किले की 2661 बीघा जमीन रखरखाव के लिए दी गई थी, लेकिन 25 सालों में तुगलकाबाद किले की करीब 1500 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा हो गया था। वर्ष 2001 में किले की जमीन को अवैध तरीके से कब्जा किए जाने की जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी। कई सालों तक यह मामला ठंडे बस्ते में पड़ा रहा, लेकिन 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर संज्ञान लिया और मामले को हाईकोर्ट के पास भेजकर मॉनिटरिंग करने का आदेश दिया। इस केस की सुनवाई तब से लगातार चल रही थी।
कोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर कब्जे हटाने का दिया था आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने केस की सुनवाई के दौरान 24 अप्रैल को एएसआई की खिंचाई की थी और कहा था कि वह ऐतिहासिक तुगलकाबाद किले में अतिक्रमण के मुद्दे पर मूकदर्शक नहीं बन सकता। कोर्ट ने हर हाल में चार सप्ताह के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था।
एएसआई ने कोर्ट को बताया था कि उसने जनवरी में किले की जमीन पर बनीं 1248 झुग्गियों पर नोटिस चिपकाए हैं, लेकिन अन्य एजेंसियों को जैसे कि दिल्ली पुलिस, निगम, डीडीए के सहयोग के बिना अवैध निर्माण को हटाने में सक्षम नहीं है। इस पर पीठ ने दिल्ली पुलिस के साथ एमसीडी और स्थानीय एसडीएम से कहा था कि वे अतिक्रमण हटाने में एएसआई को आवश्यक सहयोग प्रदान करें। इसके बाद रविवार को ये कार्रवाई की गई।