हाल ही में प्रकाशित एक वैज्ञानिक अध्ययन में अफ्रीका महाद्वीप के दो हिस्सों में विभाजित हो जाने की आशंका जताई गई है।
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lekhaka-Manshul Rathodiya

जियोफिजिकल
रिसर्च
लेटर्स
ने
अपनी
पत्रिका
में
संकेत
दिया
है
कि
पूर्वी
अफ्रीका
भविष्य
में
अफ्रीका
की
मुख्य
भूमि
से
अलग
हो
जायेगा।
इस
तरह
अफ्रीका
दो
हिस्सों
में
बंट
जाएगा
और
एक
महासागर
अथवा
समुद्र
सहित
एक
नये
महाद्वीप
का
अस्तित्व
सामने
आयेगा।
गौरतलब
है
कि
विज्ञान
से
जुड़ी
वेबसाइट
आईएफएल
साइंस
के
मुताबिक
138
मिलियन
वर्ष
पहले
भी
ऐसा
ही
कुछ
हुआ
था
जिसकी
वजह
से
दक्षिण
अमेरिका
और
अफ्रीका
अलग-अलग
महाद्वीपों
में
विभाजित
हो
गए
थे।
दो
हिस्सों
में
क्यों
टूट
रहा
है
अफ्रीका
जियोफिजिकल
रिसर्च
लेटर्स
ने
अपने
शोध
में
भूकंपीय
डेटा
का
इस्तेमाल
कर
पता
लगाया
है
कि
अफ्रीका
के
टूटने
की
शुरुआत
लगभग
30
मिलियन
साल
पहले
ही
हो
गई
थी।
जब
अफ्रीकन
प्लेट,
सोमाली
प्लेट
और
अरेबियन
प्लेट
एक-दूसरे
से
अलग
होना
शुरू
हो
गई
थी।
इसे
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
नाम
दिया
गया।
गौरतलब
है
कि
अरेबियन
प्लेट,
अफ्रीका
से
एक
इंच
प्रति
वर्ष
की
दूरी
से
अलग
हो
रही
है।
जबकि
अफ्रीकी
प्लेट
और
सोमाली
प्लेट
एक-दूसरे
से
6
से
7
मिलीमीटर
प्रति
वर्ष
की
रफ्तार
से
दूर
हो
रही
है।
साल
1972
में
यह
प्रस्तावित
किया
गया
था
कि
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
टेक्टोनिक
गतिविधि
के
कारण
नहीं,
बल्कि
क्रस्टल
घनत्व
में
अंतर
के
कारण
आई
थी।
फिर
90
के
दशक
में
अमेरिकी
भूभौतिकीय
संघ
ने
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
में
टेक्टोनिक
गतिविधियों
के
सुराख
पाये
थे।
साल
2005
में
एक
ऐसी
घटना
घटी
जिससे
इस
दरार
से
एक
नये
समुद्र
के
बनने
की
शुरुआत
हुई।
दरअसल,
साल
2005
में
इथोपिया
के
रेगिस्तान
में
लगभग
56
किलोमीटर
लंबी
दरार
आ
गई
थी।
वैज्ञानिकों
का
मानना
था
कि
यह
दरार
और
बढ़ेगी
और
इस
दरार
के
कारण
एक
नये
समुद्र
की
उत्पत्ति
होगी।
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
के
परिणाम
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
से
आगे
चलकर
दक्षिण-पश्चिम
एशिया
में
जॉर्डन
से
लेकर
दक्षिण-पूर्वी
अफ्रीका
में
मोजाम्बिक
तक
का
लगभग
3,000
किलोमीटर
लंबा
हिस्सा
अफ्रीका
से
अलग
हो
जायेगा।
हालांकि,
नैरोबी
विश्वविद्यालय
में
विज्ञान
और
प्रौद्योगिकी
संकाय
में
भूविज्ञान
विभाग
से
जुड़े
डॉ.
एडविन
डिंडी
के
अनुसार
इस
विभाजन
को
पूरी
तरह
पूरा
होने
में
और
एक
नया
समुद्र
बनने
में
लंबा
समय
लग
सकता
है,
शायद
लाखों
साल।
फिलहाल,
यह
दरार
एक
डायवर्जेंट
प्लेट
बाउंड्री
है।
मतलब
पृथ्वी
की
सतह
बनाने
वाली
टेक्टोनिक
प्लेटें
एक-दूसरे
से
दूर
जा
रही
हैं।
इस
विभाजन
से
अफ्रीका
दो
भागों
में
बंट
जायेगा
और
एक
नया
महासागर
बन
जाएगा।
साथ
ही
अलग
हुआ
टुकड़ा
भी
एक
नया
महाद्वीप
बन
जायेगा।
इस
अलग
हुए
महाद्वीप
में
कई
अफ्रीकी
देश
जैसे
युगांडा,
जांबिया,
रवांडा,
बुरुंडी,
कांगो
और
मलावी
को
समुद्री
किनारा
मिल
जायेगा।
फिलहाल
इन
देशों
की
कोई
समुद्री
सीमा
नहीं
हैं।
केन्या
में
भी
आई
दरार
28
मार्च
2018
को
रॉयटर्स
में
एक
रिपोर्ट
प्रकाशित
की
गई
जिसमें
बताया
गया
दक्षिण-पश्चिमी
केन्या
में
अचानक
एक
बड़ी
दरार
दिखने
लगी
है।
रिपोर्ट
के
मुताबिक
वह
दरार
लगातार
बढ़
रही
थी।
यह
दरार
केन्या
की
राजधानी
नैरोबी
से
लगभग
142
किलोमीटर
पश्चिम
में
स्थित
एक
छोटे
शहर
नारोक
के
आसपास
के
इलाकों
में
दिखाई
दी
थी।
स्थानीय
मीडिया
के
अनुसार
यह
दरार
कुछ
स्थानों
पर
50
फीट
गहरी
और
65
फीट
चौड़ी
थी।
हालांकि
कुछ
भूविज्ञानियों
का
दावा
था
कि
यह
दरार
भारी
बारिश
के
कारण
आई
थी।
उनके
अनुसार
अफ्रीका
जैसी
सूखी
जगह
पर
भारी
मात्रा
में
पानी
गिरने
से
सतह
में
दरार
आ
गई
थी
और
बारिश
के
पानी
के
बहाव
के
साथ
तेजी
से
गहरी
होती
चली
गयी।
हालांकि
बाद
में
यह
दावे
गलत
साबित
हुए।
दरअसल,
‘द
कन्वर्सेशन’
में
छपे
लंदन
विश्वविद्यालय
द्वारा
किए
गये
एक
शोध
में
पता
चला
कि
केन्या
में
जो
दरार
सामने
आई
थी
वह
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
का
ही
हिस्सा
थी
और
यह
कई
अफ्रीकी
देशी
में
अपनी
छाप
छोड़
रही
है।
शोध
में
यह
भी
बताया
गया
कि
पूर्वी
अफ्रीकी
दरार
फैल
रही
है
और
वह
अब
केन्या
तक
पहुंच
गई
है।
Earthquake:
भारत
के
इन
हिस्सों
में
भूकंप
से
सर्वाधिक
खतरा,
ये
आठ
राज्य
सबसे
अधिक
संवेदनशील
पूर्वी
अफ्रीका
की
भौगोलिक
स्थिति
पूर्वी
अफ्रीका
में
बुरुंडी,
कोमोरोस,
जिबूती,
इरिट्रिया,
इथियोपिया,
केन्या,
मेडागास्कर,
मलावी,
मॉरीशस,
मोजाम्बिक,
रवांडा,
सेशेल्स,
सोमालिया,
तंजानिया
और
युगांडा
जैसे
देश
आते
हैं।
पूर्वी
अफ्रीका
अपने
विविध
परिदृश्य
के
लिए
जाना
जाता
है
जिसमें
केन्या
और
तंजानिया
के
सवाना
जंगल
और
मेडागास्कर
के
ट्रॉपिकल
इलाकों
सहित
हिंद
महासागर
का
समुद्री
तट
शामिल
है।
English summary
East African Rift Will the continent of Africa break into two parts