अमेरिका के रैंड कार्पोरेशन में रक्षा विश्लेषक डेरेक ग्रॉसमैन ने कहा कि भारत के पास किसी अन्य देश की तुलना में यूक्रेन विवाद को खत्म करने का सबसे अच्छा चांस है। उन्होंने कहा कि भारत इसे रूस और अमेरिका के बीच राजनयिक पुल बनकर अंजाम दे सकता है। ग्रॉसमैन ने ऑब्जरवर रीसर्च फाउंडेशन में लिखे अपने एक लेख में कहा कि भारत ने जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक प्रयास किया लेकिन विफल रहा। भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने जो कहा, वह ध्यान देने लायक है। जयशंकर ने कहा, ‘हमने प्रयास किया लेकिन विभिन्न देशों के बीच मतभेद बहुत ज्यादा था।’
‘भारत करा सकता है यूक्रेन युद्ध का खात्मा’
अमेरिकी विश्लेषक कहते हैं कि भारत महाशक्तियों के बीच चल रहे विवाद की वजह से भले ही जी-20 का एक संयुक्त बयान जारी करवाने में विफल रहा हो लेकिन नई दिल्ली भविष्य में अमेरिका और रूस के बीच मध्यस्थ बनने में भारत की बेहद महत्वपूर्ण भूमिका को कम करके नहीं आंका जाना चाहिए। ग्रॉसमैन ने कहा, ‘इस बात पर विश्वास के मजबूत कारण हैं कि भारत के पास किसी अन्य देश की तुलना में यूक्रेन समेत दोनों ही पक्षों को वार्ता की मेज पर लाने का सबसे अच्छा चांस है। इससे आखिरकार यूक्रेन युद्ध का अंत होगा।’
भारत की भूमिका क्यों अहम है ?
ग्रॉसमैन कहते हैं, ‘भारत ने साल 1947 से ही विदेश नीति में गुटनिरपेक्षता का पालन किया है। इसका निश्चित रूप से यह मतलब नहीं है कि व्यवहार में भी भारत ने एक देश के ऊपर दूसरे देश को तरजीह नहीं दिया है। हालांकि भारत ने सभी के लिए दरवाजे नहीं खोले हैं। उदाहरण के लिए भारत के न केवल क्यूबा, ईरान और उत्तर कोरिया से संबंध हैं बल्कि उनके धुर विरोधियों अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और नाटो के अन्य देशों के साथ अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध में बातचीत के दौरान भारत एक असेट साबित हो सकता है। भारत किसी के साथ भी बिना किसी शर्त के बातचीत कर सकता है।
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‘रूस और अमेरिका से भारत के अच्छे रिश्ते’
उन्होंने कहा कि भारत के पक्ष में एक और अहम बात यह है कि उसके दोनों ही महाशक्तियों अमेरिका और रूस से बढ़िया संबंध हैं जो यूक्रेन युद्ध में शामिल हैं। पीएम मोदी बहुपक्षीय गठबंधन पर जोर दे रहे हैं ताकि किसी महाशक्ति के साथ उलझने की बजाय सभी के साथ रिश्ते मजबूत किए जाएं। भारत को उम्मीद है कि इस रणनीति से देश की रणनीतिक स्वायत्तता बनी रहेगी। वह भी तब जब महाशक्तियों के बीच प्रतिस्पर्द्धा बढ़ती जा रही है। अब तक भारत को अपनी इस रणनीति में बड़ी सफलता मिली है। भारत ने यूक्रेन युद्ध की आलोचना नहीं की और अब रूस नई दिल्ली को सस्ती दर पर तेल की आपूर्ति करने वाला शीर्ष सप्लायर बन गया है। इससे भारत की ऊर्जा जरूरत पूरी हो रही है। उधर, पश्चिमी देशों ने भारत के इस कदम का बहुत ज्यादा विरोध नहीं किया। वहीं पीएम मोदी ने पुतिन से ‘यह युद्ध की सदी नहीं’ कह कर दुनिया को स्पष्ट संदेश दे दिया।