IPS Story: ई-रिक्शा से अस्पताल तक, ब्लड कैंसर से पीड़ित प्रेम कुमार के लिए ऐसे वरदान बन गए अरविंद चतुर्वेदी

लखनऊ: जीवन जब हाथ से छूटता दिखने लगे। जब ऐसा लगे कि कोई उम्मीद नहीं बची। सब छूट रहा है। संघर्ष आखिरी विकल्प लगे और साथियों की कमी आप पर भारी। निराशा के भंवर में आप गोते लगा रहे हों, उस स्थिति में कुछ चमत्कार सा होता है। एक धूमकेतु की भांति कोई आता है, आपके जीवन को प्रकाशित कर देता है। जीवन फिर से हसीन लगने लगती है। उम्मीद जीवित हो जाती है। हार चुका आपका मन जीवन के लिए संघर्ष करने को तैयार हो जाता है। इसे इश्वरीय चमत्कार कहें या भाग्य का लेखा, लेकिन निराशा के भंवर में डूबे व्यक्ति के जीवन में एक लौ दिखाने वाला जरूर आता है। कुछ ऐसी ही लौ बनकर आए रिटायर्ड आईपीएस अरविंद चतुर्वेदी। थके, हारे, जीवन के संघर्ष से बेजार-सा प्रेम कुमार को जीवन के प्रति सकारात्मक बनाने में उनकी भूमिका को कुछ इसी प्रकार संबोधित किया जा सकता है। ब्लड कैंसर से पीड़ित एक ई-रिक्शा चालक को मेदांता अस्पताल के बेड तक पहुंचाने में उनकी भूमिका शानदार रही है। अरविंद चतुर्वेदी ने जब इस कहानी को अपने फेसबुक पेज पर शेयर किया तो उनके प्रयास की हर किसी ने सराहना की। जिंदगी की निराशा से उबर कर प्रेम कुमार कैंसर से संघर्ष कर रहा है, जीतने के लिए। बस जीतने के लिए। उसके पीछे अरविंद चतुर्वेदी एक चट्‌टान की तरह खड़े नजर आते हैं। आइए, रिटायर्ड आईपीएस की उस कहानी को जानते हैं-

क्या है पूरा मामला?

रिटायर्ड आईपीएस बताते हैं कि बात अक्टूबर 2022 की है। दैवीय संयोग से ई-रिक्शा चालक प्रेम कुमार से मुलाकात हुई। सामान्य कद काठी, अति सामान्य पृष्ठभूमि, कृषकाय रोगी शरीर, कुछ असहाय सा दिखता हुआ। देखते ही उसे लिया और कार्यालय में निरीक्षक भानु प्रताप सिंह के सम्पर्क से केजीएमयू के डॉ. ए. चंद्रा से इलाज शुरू कराया। इसमें हरदिल अजीज और एसपीएम विभाग के डॉ. नईम का भरपूर सहयोग मिला। दीवाली से दो दिन पहले प्रेम कुमार के जीवन में घना अंधेरा छा गया, जब केजीएमयू की रिपोर्ट में उसे ब्लड कैंसर से पीड़ित बताया गया। प्रेम और उसकी पत्नी खुशबू के साथ-साथ हम सब अवाक थे। प्रेम की तो मानो बोलती बंद थी। बस अपनी 9 साल की बेटी पीहू के भविष्य की बातें करने लगा।

ब्लड कैंसर जैसी गंभीर बीमारी और आर्थिक रूप से कमजोरी ने प्रेम को खामोश कर दिया। करीब 3 महीने लग गए, उसको इस सदमे से बाहर निकालने में। कई बार फोन पर बात हुई। मुलाकात हुई। वह माना और नए सिरे से इलाज का प्रयास शुरू हुआ। मेरे सहयोगी जैदी, जकी ने अपने व्यक्तिगत सम्पर्कों से प्रेम कुमार की विस्तृत जांच डॉ. राममनोहर लोहिया संस्थान में कराई। ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई। यह भी बताया गया कि इस श्रेणी के कैंसर का इलाज पीजीआई या मेदांता में ही संभव है। पीजीआई में पता करने पर कई महीनों की वेटिंग थी। लोहिया संस्थान के डॉक्टर ने मेदांता में अपने पूर्व सहयोगी डॉक्टर से बात कर प्रेम कुमार की स्थिति बताई।

चिंता से उबारने की कोशिश

रिटायर्ड आईपीएस कहते हैं कि रोग से ज्यादा मारक चिंता होती है । इसलिए प्रेम कुमार को पत्नी खुशबू के साथ अपने घर बुलाया। मेरे साथ मेरी पत्नी रागिनी, अनुज समान मनीष अवस्थी ने उससे घंटों बात की। प्रेम को आश्वस्त किया कि इलाज के खर्च की व्यवस्था हो जाएगी, बस तुमको इलाज के लिए मानसिक रूप से तैयार होना है। प्रेम-खुशबू को मिठाई खिलाई। हल्की-फुल्की, हंसी-मजाक की बातें कीं। फिर, प्रयास शुरू किया गया। अप्रैल 2023 आ गया। संयोग से मेरी एक घनिष्ठ परिचित मेदांता में वरिष्ठ डॉक्टर हैं। बहुत प्रतिष्ठित,उदारमना, संवेदनशील। बेटा-बहू भी डाक्टर, स्मृति शेष पति लखनऊ के मशहूर डाक्टर थे। उनकी उदारता से हम सब वाकिफ हैं। उनसे बात कर इलाज शुरू करने से पहले टेस्ट आदि का खर्च पूछा। 42 हजार रुपए के खर्च का पता चला। छोटा सा सहयोग देने के बाद मेरे लिए टेस्ट खर्च की व्यवस्था करना पहली चुनौती थी। इसके बाद ही इलाज के व्यय का एस्टीमेट बनता है, जिसको मुख्यमंत्री सहायता कोष से सहायता के लिए भेजा जा सकता था।

लखनऊ में संवेदना का प्रतिमान बनाने वाले स्मृति शेष चन्द्र किशोर रस्तोगी के भाई और उत्कृष्ट नाट्य- सिने कलाकार, निर्देशक समर्पित समाजसेवी डॉ. अनिल रस्तोगी से समस्या बताई। उन्होंने एक उदारमना व्यवसायी को समस्या बताते हुए मुझे उनका नंबर दिया। कॉल करने पर पहला वाक्य सुनाई दिया, चतुर्वेदी जी, 40 हजार रुपये लेने के लिए आप कितने बजे अपना आदमी मेरे पास भेजेंगे। मैं रोमांचित हो गया। न अनुरोध, न अनुनय-विनय और 100 फीसदी सहयोग देने को तत्पर। धन्य हैं ऐसे लोग।

इलाज के लिए 16.22 लाख का एस्टीमेट

प्रेम के इलाज से पहले टेस्ट का रास्ता साफ हो गया था। हमारे कार्यालय सहयोगी अविनाश साहू ने सहर्ष मेदांता में प्रेम कुमार की मदद करने का आश्वासन दिया। इसके बाद इलाज के लिए 16.22 लाख रुपए खर्च का एस्टीमेट बना। इसे अनुज समान ऋषि तिवारी ने स्थानीय विधायक और उप मुख्यमंत्री बृजेश पाठक के माध्यम से मुख्यमंत्री सहायता कोष से अनुदान के लिए भेजा। टेस्ट रिपोर्ट लेने के लिए खुशबू, अविनाश के साथ अपने परिचित डाक्टर साहब के पास गया। हम सब अवाक रह गए, जब डाक्टर साहब ने लगभग बधाई देते कि हुए बताया कि प्रेम कुमार को कम घातक श्रेणी का ब्लड कैंसर है। इसके इलाज में कम समय और कम खर्च होगा। यह बहुत बड़ी खुशखबरी थी। हालांकि, इलाज तुरंत शुरू करना था।

मुख्यमंत्री सहायता कोष से कुछ औपचारिकतारएं पूरी करने के बाद मदद मिलने में कुछ समय लगना स्वाभाविक है। मेदान्ता में प्रेम कुमार का इलाज करने वाले डाक्टर साहब ने 2 से 2.5 लाख का शुरूआती खर्च बताया। वे स्वयं भी प्रेम की आर्थिक स्थिति देखकर द्रवित थे। हरसंभव मदद के लिए तत्पर भी। मेरी परिचित डॉक्टर ने सबसे पहले गुप्त-सहयोग का आश्वासन दे दिया। मानसिक उलझन में पड़ा था- कभी प्रेम तो कभी खुशबू और बेटी पीहू का ध्यान आता।

हर किसी का मिला सहयोग

रिटायर्ड आईपीएस बताते हैं कि संकोच के साथ कल एक उदारमना उद्योगपति मित्र को कॉल करके प्रेम की स्थिति बता कर सहायता मांगी। बिना समय गंवाए 50 हजार रुपए का सहयोग दे दिया। सामाजिक कार्यों में बढ़- चढ़ कर हिस्सा लेने वाले अतिव्यस्त व्यवसायी मित्र ने ‘मानव- सेवा’ लिए 25 हजार का सहयोग भेज दिया। हमारे एक घनिष्ठ मित्र से सहयोग के लिए कहा। 10 मिनट में उनके एक मित्र ने 50 हजार का सहयोग देते हुए मर्मस्पर्शी पंक्ति लिखी ‘जिस भाई की सेवा के लिए यह माया गुरु जी ने भेजी है, उसके स्वास्थ्य की मंगल कामना करते हैं।’ अहा! क्या भावपूर्ण सर्मपण है। सामान्य तौर पर मैं अपने पुलिस सहयोगियों से सामाजिक काम में सहयोग नहीं मांगता हूं। लेकिन, अपवाद तो सब जगह होते हैं। अत्यन्त उत्साही, संवेदनशील, विचारवान और लगाव रखने वाले सहयोगी ने खुद 25 हजार रुपए और मित्रों के सहयोग से कुल 71 हजार रुपए का सहयोग कर दिया।

मेदान्ता में इलाज कर रहे डॉक्टर आश्वस्त हैं कि प्रेम कुमार का इलाज धनाभाव से नहीं रुकेगा। आज प्रेम कुमार मेदांता में बी-742 ट्विन शेयरिंग रूम में भर्ती हो गया है। हमारा सहयोगी दीपक गुर्जर उनके साथ हैं। होमोग्लोबिन 4.4 और प्लेटलेट्स 11 हजार है। पहली चुनौती यही बन गई है। A+ या AB+ ब्लड ग्रुप के 7 यूनिट प्लेटलेट्स के लिए और किसी ग्रुप के 7 यूनिट होमोग्लोबीन के लिए चाहिए। इसके लिए अलग से अपील करूंगा। लगभग 10 दिन के इलाज के बाद सुखद परिणाम की आशा है। वे सहयोग के लिए हर किसी के उदार मन की प्रशंसा करते हैं।

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