सीएम हेमंत सोरेन ने खूंटी में कार्यक्रम के दौरान राष्ट्रपति के सामने पलायन पर अपनी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा आदिवासियों की स्थिति में अभी भी सुधार नहीं हो रहा है।
Samachar
oi-Rakesh Kumar Patel

खूंटी
में
आयोजित
स्वयं
सहायता
समूह
की
दीदियों
के
सम्मेलन
में
राष्ट्रपति
द्रौपदी
मुर्मू
की
उपस्थिति
में
झारखंड
के
मुख्यमंत्री
हेमंत
सोरेन
ने
फिर
से
सरना
धर्म
कोड
की
मांग
दोहराई।
साथ
ही
मुख्यमंत्री
ने
यह
भी
कहा
कि
कुडूख
और
मुंडारी
भाषा
को
संविधान
की
8वीं
अनुसूची
में
शामिल
कराया
जाए।
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
यहां
जनजातीय
मामलों
के
मंत्री
अर्जुन
मुंडा
और
देश
के
सर्वोच्च
पद
पर
बैठीं
एक
आदिवासी
महिला
राष्ट्रपति
द्रौपदी
मुर्मू
मौजूद
हैं।
मैंने
सरना
धर्म
कोड
संबंधित
विधेयक
केंद्र
के
पास
भेजा
है।
उसे
मंजूरी
दिलाएं।
बता
दें
कि
मुख्यमंत्री
हेमंत
सोरेन
लंबे
समय
से
झारखंड
में
आदिवासियों
के
लिए
सरना
धर्म
कोड
की
मांग
उठाते
रहे
हैं।
पिछले
साल
यह
कानून
केंद्र
के
पास
मंजूरी
के
लिए
भेजा
गया
था।
संबोधन
के
दौरान
मुख्यमंत्री
ने
जनजातीय
कार्यमंत्री
अर्जुन
मुंडा
के
कामों
की
सराहना
करते
हुए
उम्मीद
जताई
कि
उनके
कार्यकाल
में
झारखंड
में
आदिवासियों
के
विकास
के
लिए
काम
होगा।
आदिवासियों
को
वनोत्पाद
का
सही
मूल्य
मिले
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
आदिवासियों
को
वनोत्पाद
का
सही
मूल्य
मिले
और
वे
आर्थिक
रूप
से
समृद्ध
हों,
यह
सुनिश्चित
करना
केंद्रीय
जनजातीय
मंत्रालय
का
काम
है।
उन्होंने
कहा
कि
आज
राष्ट्रपति
सहित
कई
केंद्रीय
मंत्री
और
वरीय
अधिकारी
मौजूद
हैं
और
यह
झारखंड
के
लिए
गर्व
का
विषय
है।
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
आदिवासी
समाज
आज
भी
कई
चुनौतियों
से
जूझ
रहा
है।
जनजातीय
मंत्रालय
को
इस
बात
की
चिंता
करनी
चाहिए
कि
आदिवासियों
की
आय
कैसे
बढ़ाई
जाए।
उन्होंने
कहा
कि
जल,
जंगल
और
जमीन
झारखंड
की
पहचान
है।
पूरा
राज्य
खनिज
संसाधनों
से
परिपूर्ण
है।
यहां
कोयला,
अभ्रक
और
एल्युमीनियम
के
भंडार
हैं।
झारखंड
के
खनिज
से
पूरा
देश
रोश
है
जबकि
यहां
के
ग्रामीण
इलाकों
में
2
जून
की
रोटी
जुटाना
भी
मुश्किल
होता
है।
कोरोना
महामारी
के
बाद
वापस
पटरी
पर
लौटने
के
लिए
जद्दोजहद
जारी
है।
उन्होंने
कहा
कि
जब
हमारी
सरकार
ने
आदिवासियों
के
उत्थान
के
लिए
काम
करना
शुरू
किया
तो
पता
चला
कि
राज्य
गठन
के
बाद
20
वर्षों
में
कोई
सार्थक
प्रयास
नहीं
किया
गया।
पिछले
20
वर्षों
में
किसी
भी
सक्रिय
संगठन
या
फेडरेशन
ने
आदिवासियों
के
उत्थान
के
लिए
काम
नहीं
किया।
आर्थिक
सशक्तिकरण
के
लिए
प्रयासरत
है
सरकार
सीएम
हेमंत
सोरेन
ने
कहा
कि
हमारी
सरकार
ने
महिला
समितियों
का
गठन
किया
है।
सभी
पंचायत
समितियों
को
गति
देने
के
लिए
राशि
आवंटित
की
गई
है।
225
सेल्फ
ग्रुप
में
22
महिलाओं
को
जोड़ा
गया
है।
उनको
आर्थिक
सहायता
देकर
उत्पाद
और
उपज
के
लिए
प्रेरित
किया
गया।
साथ
ही
प्रयास
किया
जा
रहा
है
कि
कैसे
उन्हें
उनकी
उपज
का
सही
मूल्य
मिले।
पलाश
मार्ट
के
जरिए
ग्रामीण
महिलाओं
के
उत्पादों
की
ब्रांडिंग
की
जा
रही
है।
झारखंड
में
14,000
वनोत्पाद
हैं
लेकिन
बिचौलिए
सक्रिय
हैं
और
ग्रामीणों
को
उसका
सही
मूल्य
नहीं
मिल
पाता।
लाह
बाजार
मूल्य
से
कम
महज
1100
रुपये
में
बिकता
था।
मुख्यमंत्री
ने
कहा
कि
सिद्धो-कान्हू
फेडरेशन
के
जरिए
महिला
समूहों
के
उत्पादों
को
बाजार
उपलब्ध
कराया
गया
है।
उन्होंने
कहा
कि
झारखंड
में
वनोत्पाद
से
जुड़ा
कोई
भी
प्रसंस्करण
यूनिट
नहीं
है
इसलिए
समस्या
आती
है।
जनजातीय
मंत्रालयय
इसका
समाधान
निकाले।
Jharkhand
cabinet
meeting:
31
मई
को
होगी
झारखंड
कैबिनेट
की
बैठक,
लिए
जाएंगे
कई
अहम
फैसले
English summary
Jharkhand: CM Hemant repeated the demand for Sarna Dharma Code in front of the President