400 बच्चों को मारने वाली सीरियल किलर
1896 के आसपास लंदन (London) की थेम्स नदी में या इसके करीबी इलाकों में एक के बाद एक कई बच्चों की लाशें मिलने लगी। ज्यादातर बच्चे या तो नवजात थे या फिर बेहद छोटी उम्र के। बच्चों के गले में एक सफेद टेप बंधी हुई थी और वही टेप उनके मुंह पर भी बंधी थी। साफ था कि टेप को गले में बांधकर नन्हें बच्चों को तड़पा-तड़पा कर मौत दी गई है। जांच शुरू हुई पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे और फिर ये जांच पहुंची अमेलिया डायर (Amelia Dyer) तक।
तड़पा-तड़पा कर किया नवजात बच्चों का कत्ल
जी हां ये कहानी है है पेशे से नर्स अमेलिया डायर की जिसने छोटे-छोटे बच्चों को मुंह और गले में सफेद पट्टी बांधकर मौत के घाट उतारा दिया था। अमेलिया लंदन की रहने वाली थी। ये 1890 के आसपास का दौर था। तब ब्रिटेन में बेबी फॉर्मिंग का कॉन्सेप्ट था। बेबी फॉर्मिंग यानी लोग पैसे लेकर अनचाहे बच्चों को अपने पास रखते थे। जब कोई पेरेंट्स बच्चा होने के बाद उसकी जिम्मेदारी नहीं लेना चाहता था या फिर कुछ समय के लिए टालना चाहता था, तो वो ऐसे बच्चों को बेबी फॉर्मिंग का काम कर रहे लोगों के पास छोड़ देता था और बदले में एक मोटी रकम बच्चे के पालन पोषण के लिए दी जाती थी। इसके बाद बेबी फॉर्मिंग कर रहे लोग या तो नन्हे बच्चों को कुछ सालों तक खुद पालते थे या फिर किसी और को गोद दे देते थे।
बच्चों की देखभाल के लिए उन्हें अपने पास लाती
इस नर्स ने भी बेबी फॉर्मिंग का काम शुरू किया था। दरअसल 24 साल की उम्र में अमेलिया ने खुद से करीब 30 साल बड़े एक शख्स से शादी कर ली थी। दोनों की एक बेटी थी, लेकिन थोड़े समय बाद अमेलिया के पति की मौत हो गई। अमेलिया ने दूसरी शादी की, लेकिन दूसरे पति के साथ अमेलिया की शादी ज्यादा सालों तक नहीं चल पाई। अमेलिया के दूसरे पति से भी दो बच्चे हुए। अब 3 बच्चों की जिम्मेदारी उसपर थी। नर्सिंग के काम से जितना पैसा मिल रहा था उससे वो अपना घर नहीं चला पा रही थी। बस इसलिए अमेलिया को लगा कि बेबी फॉर्मिंग उसके लिए एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है।
नन्हे बच्चों को नहीं देती दूध और खाना
वो छोटे बच्चों को पालने के लिए लेने लगी और बदले में उसे मिलते ढेर सारे पैसे। शुरू-शुरू में तो कुछ दिन इसने बेबी फॉर्मिंग को ठीक से किया, लेकिन फिर अमेलिया ने बच्चों के पालन पोषण के लिए दिए गए पैसों को खुद पर अपने बच्चों पर खर्च करना शुरू कर दिया और जो बच्चे बेबी फॉर्मिंग के लिए इसके पास आते उन्हें ये भूखा मारने लगी। न बच्चों को दूध देती न खाना। अमेलिया के बेबी फॉर्म में कई बच्चे मरने लगे। बात पुलिस तक पहुंची। अमेलिया को गिरफ्तार किया गया, लेकिन कोर्ट में अमेलिया के खिलाफ कोई ठोस सबूत पेश नहीं हो पाए और फिर उसे 6 महीने बाद छोड़ दिया गया।
बच्चों के माता-पिता से लेती थी मोटी रकम
बस इसके बाद तो ये महिला जिंदा डायन बन गई । इसने अब ऐसे बच्चों की फॉर्मिंग शुरू की जिनके माता-पिता वापस उन बच्चों को कभी नहीं लेना चाहते थे। इसे ब्रिटेन में परमानेंट बेबी फॉर्मिंग कहा जाता है। टेंपरेरी बेबी फॉर्मिंग में माता-पिता कुछ समय के लिए ही अपने बच्चे को ऐसे लोगों के पास छोड़ते थे, जबकि परमानेंट में हमेशा के लिए। अमेलिया ने अलग-अलग नाम से कई परमानेंट बेबी फॉर्मिंग सेंटर खोले और ऐसे बच्चों पालन-पोषण के बदले लाखों रुपये लोगों से लिए।
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कत्ल के बाद बच्चों की लाश थेम्स नदी में फेंक देती
इसके पास कई छोटे बच्चे इकट्ठा हो चुके थे, लेकिन ये उनकी देखभाल और पालन-पोषण नहीं करना चाहती थी। उसके बाद इसने एक-एक कर बच्चों को मारना शुरू किया। ये अपने घर में ही बच्चों का कत्ल करती। तरीका वही था, अस्पताल में इस्तेमाल होने वाली सफेद टेप को बच्चों के मुंह में बांध देती और फिर एक और टेप लेकर तब तक बच्चे के गले को दबाती जब तक उसकी सांसे थम न जाएं। ये उन बच्चों के कपड़े उतारकर थोड़े समय बाद थेम्स नदीं या आसपास के इलाकों में फेंक आती।
1896 में सीरियल किलर अमेलिया डायर मिली फांसी
सालों तक ये सिलसिला चलता रहा, लेकिन जब 1896 में एक मछुआरे को बच्चे की लाश मिली तो अमेलिया की हकीकत सामने आई। पुलिस ने जब अमेलिया के घर में छापा मारा तो वहां कई सारे छोटे बच्चों के कपड़े पड़े हुए थे। घर में इंसानी मांस की बदबू आ रही थी। अमेलिया को जब गिरफ्तार किया गया तो उसने खुद कबूल किया कि उसने 400 से भी ज्यादा मासूमों को मौत दे डाली है। कोर्ट ने इस खतरनाक सीरियल किलर को फांसी की सजा सुनाई और 10 जून 1896 को इसे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।
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