Manish Kashyap surrendered: सरेंडर, हिरासत और गिरफ्तारी में क्या अंतर है?

Manish Kashyap Case: बिहार पुलिस के सामने फर्जी वीडियो के मामले में मनीष कश्यप ने सरेंडर किया है। ऐसे में क्या होता है हिरासत, गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण जानिए..

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manish kashyap surrender


What
is
difference
between
surrender,
custody
and
arrest?:

तमिलनाडु
में
बिहार
के
लोगों
की
पिटाई
की
फर्जी
खबरें
चलाने
के
आरोप
के
बाद
यूट्यूबर
मनीष
कश्यप
(Manish
Kashyap)
ने
सरेंडर
कर
दिया
है।
बिहार
पुलिस
ने
मनीष
कश्यप
सहित
कई
लोगों
के
खिलाफ
केस
दर्ज
किया
गया
था
और
कार्रवाई
के
तौर
पर
कई
जगह
दबिश
भी
दे
रही
थी।
इस
बीच
मनीष
कश्यप
ने
बिहार
के
बेतिया
जिले
के
जगदीशपुर
पुलिस
थाने
में
सरेंडर
कर
दिया
है।
ऐसे
में
जानिए
सरेंडर,
हिरासत
और
गिरफ्तारी
में
क्या
अंतर
है?


गिरफ्तारी
का
क्या
मतलब
होता
है?

गिरफ्तार
करना
या
अरेस्ट
करना
एक
ही
होता
है।
जब
पुलिस
किसी
अपराधी
को
खुद
पकड़ती
है
तो
उसे
गिरफ्तारी
कहा
जाता
है।
जब
किसी
अपराध
के
सबूत
शख्स
से
जुड़े
होतो
पुलिस
केस
की
पूछताछ
के
लिए
गिरफ्तार
करती
है।
आसान
भाषा
में
समझे
तो
गिरफ्तारी
का
मतलब
किसी
धारा
के
अनुसार
आरोपी
पर
केस
चलाना
और
जेल
भेजना
गिरफ्तारी
कहलाती
है।
गिरफ्तार
हुए
व्यक्ति
की
सारी
स्वतंत्रता
खत्म
हो
जाती
है।


हिरासत
या
कस्टडी
का
मतलब

किसी
भी
अपराध
या
गलत
काम
के
लिए
पुलिस
को
आईपीसी
के
तहत
यह
अधिकार
मिलता
है
कि
वो
आरोपी
से
पूछताछ
कर
सकती
है।
इसके
लिए
वह
व्यक्ति
को
थाने
बुलाती
है
और
उससे
पूछताछ
करती
है।
हिरासत
यानी
कस्टडी
का
अर्थ
होता
है
कि
देखभाल
के
लिए
किसी
आरोपी
को
पकड़ना।
हिरासत
और
गिरफ्तारी
में
काफी
फर्क
होता
है।
क्योंकि
गिरफ्तारी
में
हिरासत
होती
है,
लेकिन
हिरासत
में
गिरफ्तारी
नहीं
होती
है।
किसी
शख्स
को
हिरासत
में
लेना
का
मतलब
होता
है
कि
उसे
अस्थायी
रूप
से
जेल
में
रखना
होता
है।
24
घंटे
के
अंदर
उसे
कोर्ट
में
पेश
किया
जाता
है।
इस
दौरान
जेल
और
कोर्ट
के
बीच
की
अवधि
को
‘हिरासत’
में
रखना
कह
सकते
हैं।

'सरेंडर नहीं करूंगा, लड़ूंगा', कहने वाले यूट्यूबर मनीष कश्यप आखिर खुद क्यों पहुंच गए थाने, किस बात का था डर‘सरेंडर
नहीं
करूंगा,
लड़ूंगा’,
कहने
वाले
यूट्यूबर
मनीष
कश्यप
आखिर
खुद
क्यों
पहुंच
गए
थाने,
किस
बात
का
था
डर


सरेंडर
का
क्या
अर्थ
होता
है?

सरेंडर
करना
या
आत्मसमर्पण
करने
का
अर्थ
है
किसी
चीज
का
नियंत्रण
किसी
और
को
सौंप
देना।
मतलब
किसी
अपराध
में
पुलिस
आरोपी
की
खोज
कर
रही
है
और
वह
खुद
आकर
थाने
में
या
फिर
जेल
कोर्ट
में
आत्मसमर्पण
करता
है
तो
इसका
मतलब
है
कि
वह
कानूनी
रूप
से
पुलिस
के
सामने

चुका
है
और
आरोपों
की
जांच
पर
पुलिस
का
सहयोग
करना
चाहता
है।
ऐसे
में
अगर
आरोपी
आत्मसमर्पण
करता
है
तो
अदालत
का
उसके
प्रति
रुख
नरम
रहता
है।

English summary

manish kashyap case What is difference between surrender, custody and arrest

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