सुप्रीम कोर्ट में राज्य की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने दलील दी कि ट्रैप कार्रवाई के दौरान आरोपी ने इस बात को कबूल किया कि बीजेपी ने इसी तरह से आठ सरकारें गिराई है।
उन्होंने कहा कि मामले में सीबीआई से जांच न हो बल्कि राज्य की ओर से गठित एसआईटी से जांच हो। दवे ने कहा कि सत्ताधारी पार्टी के चार विधायकों को बीजेपी की ओर से कथित तौर पर खरीद फरोख्त किया गया था। इस मामले में तेलंगाना सरकार की ओर से एसआईटी का गठन कर जांच कराई जा रही है। दवे ने कहा कि केंद्र में बीजेपी की सरकार और सीबीआई केंद्र के अधीन है। ऐसे में सीबीआई से जांच के लिए कैसे कहा जा सकता है जबकि आरोप बीजेपी पर है।
इस दौरान सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि फिर तो राज्य में भी एक पार्टी की सरकार और एसआईटी राज्य सरकार की ओर से गठित की गई है। इस पर दवे ने कहा कि राज्य सरकार का अधिकार है क्योंकि उसके जूरिडिक्शन में यह घटना हुई है। दवे ने इस आरोप को खारिज किया कि राज्य सरकार ने एसआईटी जांच में कोई दखल दी।
दवे ने आरोप लगाया कि केंद्र अपने पॉलिटिकल विरोधियों के खिलाफ सीबीआई और ईडी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। यह आज के समय की वास्तविकता है और इससे आंख नहीं चुराई जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट में दवे की ओर से कहा गया है कि एक के बाद राज्यों में सदन के सदस्यों को बीजेपी की ओर से बहकाया जाता है। चार्टर प्लेन से ले जाया जाता है। फाइव स्टार होटल में ठहराया जाता है यह सब लोकतंत्र का माखौल है। इसे सिर्फ सुप्रीम कोर्ट रोक सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने आगे की सुनवाई होली की छुट्टी के बाद के लिए टाल दी है।
पिछली सुनवाई में तेलंगाना पुलिस की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दलील दी गई थी कि जब विधायकों के खरीद फरोख्त मामले में आरोप बीजेपी मेंबर पर है तो फिर मामले की जांच सीबीआई कैसे कर सकती है जबकि सीबीआई केंद्र के अधीन है। तेलंगाना राज्य पुलिस की ओर से दुष्यंत दवे ने कहा कि आरोप बीजेपी के सदस्यों पर है इसलिए मामले को सीबीआई को सौंपने से न्याय नहीं हो सकता है।
तेलंगाना हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने चार विधायकों की खरीद फरोख्त के प्रयास से संबंधित मामले की जांच के लिए केस सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया। उससे पहले मामले की जांच राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी कर रही थी।