नौकरी मिलने के बाद भी निष्ठा का मन आर्ट-क्राफ्ट में लगता था। वह नौकरी के साथ क्रिएटिव ऑर्ट फॉर्म्स की प्रैक्टिस करती रहती थीं। 2019 में सबकुछ अचानक बदला। निष्ठा की बेटी ने सोशल मीडिया पर क्रोशिया की बनी छोटी सी कान की बाली की तस्वीर पोस्ट की। लोगों ने इसे काफी पसंद किया। तब तक निष्ठा ने कभी भी अपने शौक को करियर के रूप में अपनाने के बारे में नहीं सोचा था। फोटो के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अच्छा प्रदर्शन करने के बाद उन्हें 50 क्रोशिया ईयरिंग्स का पहला बल्क ऑर्डर मिला।
बेटी ने किया बिजनस के लिए प्रोत्साहित

निष्ठा की बेटी उनके आर्टवर्क की तस्वीरें पोस्ट करती रही। बेटी ने ही उन्हें हैंडक्राफ्ट का कारोबार शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। जल्द ही उन्हें देशभर से छोटे-छोटे ऑर्डर मिलने शुरू हो गए। टीचर के रूप में अपने काम की जिम्मेदारियों को निभाते हुए मां-बेटी ने मिलकर सभी ऑर्डरों को खूबसूरती से पूरा किया।
डेढ़ साल के बाद निष्ठा के काम ने ग्राहकों का दिल जीत लिया था। उन्होंने तब तक 300 से ज्यादा ऑर्डर पूरे कर लिए थे। विदेश से भी ऑर्डर लेने शुरू कर दिए थे। उस समय निष्ठा के रिटायरमेंट के सिर्फ तीन साल बचे थे। उन्हें ऑर्डरों को पूरा करने के लिए ज्यादा फोकस की जरूरत थी। इसी के बाद निष्ठा ने स्कूल टीचर के तौर पर अपना 27 साल पुराना प्रफेशन छोड़ दिया।
नौकरी छोड़ने का फैसला नहीं था आसान

निष्ठा की परमानेंट नौकरी थी। उस नौकरी में उन्हें प्रमोशन और सम्मान दोनों मिले थे। यह उनकी स्थायी इनकम का स्रोत थी। उनके लिए यह फैसला लेना आसान नहीं था। लेकिन, उन्होंने ऐसा किया। अब वह एक ब्रांड की मालकिन हैं। इस ब्रांड का नाम भी उन्हीं पर है- निष्ठाज हैंडमेड। हरियाणा की यह कंपनी हैंडीक्राफ्ट गुड्स के कारोबार में है। कंपनी हाथ से बने प्रोडक्टों की व्यापक रेंज की बिक्री करती है।
जब निष्ठा ने नौकरी छोड़ने और अपने शौक को करियर के रूप में अपनाने का फैसला किया था तो उनके परिवार के लोगों और दोस्तों को काफी संदेह था। उन्हें बार-बार समझाया जा रहा था कि वह अपने फैसले पर दोबारा विचार कर लें। अपनी जगह वे भी गलत नहीं थे। उन्हें लगता था कि यह सिर्फ एक शौक है। वह इस शौक से कुछ हजार रुपये से ज्यादा नहीं कमा पाएंगी। वे कहते कि कि वृद्धावस्था में समय बिताने के लिए यह अच्छा आइडिया है।
किसी से नहीं मिले निवेश के लिए पैसे

किसी ने कारोबार में निवेश के लिए निष्ठा को पैसों की पेशकश नहीं की। यहां तक इसमें उनका परिवार भी शामिल था। निष्ठा ने धैर्य के साथ इन बाधाओं को पार किया। उन्होंने कभी भी ऑर्डरों की संख्या की परवाह नहीं की। हमेशा सिर्फ इस बात की परवाह की कि लोग उनके काम पर कैसी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। निष्ठा ने अपनी सेविंग को अपने कारोबार में निवेश के रूप में इस्तेमाल करने में कभी संकोच नहीं किया।
शुरू से ही निष्ठा ने कभी किसी ऑर्डर को न नहीं कहा। फिर चाहे इसके लिए उन्हें कितनी भी रातों की नींद क्यों न देनी पड़ी हो। उसी दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के साथ उन्होंने अपने लक्ष्यों को हासिल किया।