UP Power Employees Strike: PM Modi के खास रहे एके शर्मा का योगी सरकार में पहला लिटमस टेस्ट, पास हुए या फेल ?

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गुरुवार की रात से हड़ताल पर गए बिजलीकर्मियों ने सरकार की नींद उड़ा दी है। प्रदेश के कई इलाकों में पावर कट का संकट लोगों को झेलना पड़ रहा है। बिजलीकर्मियों की हड़ताल के कारण उत्पादन और सप्लाई दोनों प्रभावित है। ट्रिपिंग जैसी समस्याओं को दूर करने में घंटों लग रहे हैं। सरकार ने संविदा कर्मियों को काम पर लौटने का आदेश दिया था लेकिन, कर्मचारियों की हड़ताल के कारण वे नहीं लौटे। ऐसे में सरकार की ओर से कार्रवाई की जा रही है। इन सबके बीच मुख्य फोकस प्रदेश के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा पर है। बिजली मंत्री ने कर्मचारियों की हड़ताल समाप्त कराने के लिए पहले दिन से प्रयास शुरू कर दिया था, लेकिन कर्मचारियों के अड़ियल रवैये के कारण बात नहीं बन सकी। रविवार को भी हड़ताली कर्मचारी संगठन के साथ बिजली मंत्री की बैठक होनी है। लेकिन, सवाल यह उठ रहा है कि कभी मुख्यमंत्री और बाद में प्रधानमंत्री बने नरेंद्र मोदी के भरोसेमंद अधिकारियों में शुमार एके शर्मा बिजलीकर्मियों का भरोसा क्यों नहीं जीत पाए? कर्मचारियों की हड़ताल उनके लिए योगी सरकार में मंत्री बनने के बाद पहला लिटमस टेस्ट था, अपने कड़े रुख के साथ वे कर्मचारियों की मांगों के आगे डटकर खड़े तो नजर आए हैं। लेकिन, लोगों को बिजली संकट से निजात दिलाने में कामयाबी नहीं मिली है।

कौन हैं एके शर्मा?

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा पूर्व आईएएस अधिकारी हैं। वे यूपी के मऊ जिले के रहने वाले हैं। उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफी खास कहा जाता है। एके शर्मा नरेंद्र मोदी के साथ वर्ष 2001 से लगातार काम कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने गुजरात में मुख्यमंत्री रहते हुए वर्ष 2001 से 2013 तक उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में अपने साथ रखा था। एके शर्मा 1988 बैच के गुजरात कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं। वर्ष 2021 में उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। पहले उन्हें संगठन में जिम्मेदारी दी गई। यूपी चुनाव में भाजपा की बड़ी सफलता के बाद योगी सरकार में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया। एके शर्मा अभी यूपी विधान परिषद के सदस्य हैं।

आखिर क्यों हुई बिजली कर्मचारियों की हड़ताल?

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की मानें तो 3 दिसम्बर 2022 को योगी सरकार और बिजलीकर्मियों के बीच एक समझौता हुआ था। इस समझौते में कई बिंदुओं पर सहमति बनी। बैठक में निर्णय लिया गया कि ऊर्जा निगमों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन समिति की ओर से किया जाएगा। तीन प्रमोशन पदों के टाइमबांड पे-स्केल का आदेश, बिजली कर्मियों के लिए पावर सेक्टर इम्प्लॉईज प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने, पावर सब-स्टेशन के ऑपरेशन और मेंटनेंस की आउटसोर्सिंग बंद करने समेत कई अन्य बिंदुओं पर सहमति बनी। सरकार की ओर से बिजली मंत्री एके शर्मा ने समझौते के बिंदुओं को लागू करने के लिए 15 दिन का समय मांगा। तीन माह बाद भी समझौते को लागू करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं हुआ।

संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार ने समझौते में आश्वासन दिया था कि बिजली कंपनियों के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक का चयन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित एक समिति के जरिए ही किया जाएगा। इस व्यवस्था को बंद करते हुए अब इन पदों पर स्थानांतरण के आधार पर तैनाती की जा रही है। बिजलीकर्मियों की हड़ताल करने का यह एक बड़ा मुद्दा है।

हड़ताल ने बढ़ाई है लोगों की परेशानी

बिजली कर्मियों की हड़ताल ने आम लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। पावर कट के कारण पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है। बांदा से लेकर वाराणसी तक पेयजल संकट पर लोग सड़कों पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। बिजली कर्मचारियों की हड़ताल ने सरकार के सामने एक अलग ही चुनौती खड़ी कर दी है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जा रहे हैं। मोबाइल के कम्युनिटी चार्जिंग के फोटो शेयर किए जा रहे हैं। योगी सरकार में इस प्रकार की स्थिति ने ऊपर तक माहौल गरमा दिया है। आखिरकार, शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद मोर्चा संभाला। बिजली विभाग के मंत्री एके शर्मा सहित तमाम अधिकारी तलब किए गए। मुख्यमंत्री आवास में हुई आपात बैठक में बिजली व्यवस्था को हर हाल में सुचारू बनाए रखने पर जोर दिया गया। इसके बाद सरकार एक्शन मोड में आई।

बिजली मंत्री एके शर्मा ने 1332 संविदा कर्मियों को निकालने का आदेश जारी किया। मीडिया को भी इस बात की जानकारी दी गई। बिजली कर्मियों की हड़ताल के कारण सबसे बड़ी दिक्कत बिजली की आपूर्ति में हो रही है। इसको दुरुस्त करने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने ऊर्जा मंत्री और विभाग के अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी किए। गुरुवार से शुरू हुई हड़ताल के बाद शुक्रवार और शनिवार की दोपहर तक राजधानी लखनऊ में भी बिजली व्यवस्था बाधित रही। रह-रहकर बिजली ट्रिप होती रही। सीएम योगी के एक्शन में आने के बाद इस प्रकार की समस्या से राजधानी के लोगों को तो निजात मिली, लेकिन प्रदेश के अन्य इलाकों में हालात खराब हैं।

एके शर्मा के कड़े तेवर लेकिन…

एके शर्मा ने बिजलीकर्मियों की हड़ताल के आगे न झुकने का फैसला किया है। वे स्वयं पूरे मामले की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। कंट्रोल रूम की निगरानी कर रहे हैं। लोगों की आने वाली शिकायतों पर त्वरित एक्शन के निर्देश दिए गए हैं। बिजली मंत्री ने संविदाकर्मियों को शनिवार की शाम 6 बजे तक का अल्टीमेटम दिया था। उन्होंने आउटसोर्सिंग कंपनियों से कहा है कि बर्खास्त किए गए संविदा कर्मियों के स्थान पर रविवार से नए लोगों की नियुक्ति की जाए। विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के 22 नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। उनके खिलाफ एस्मा के तहत कार्रवाई होगी। कई को सस्पेंड करने की तैयारी है। हाई कोर्ट ने भी बिजली कर्मचारियों की हड़ताल पर कड़ा रुख दिखाया है। ऐसे में एक मोर्चे पर तो एके शर्मा अपने रुख के साथ सफल नजर आते हैं।

हालांकि, प्रदेश के कई इलाकों में बिजली कट के कारण परेशानी बढ़ी हुई है। हड़ताल का असर लोगों पर पड़ रहा है। बकौल, विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे, प्रदेश में 70 हजार संविदा कर्मी हैं। उन्होंने कहा कि ओबरा थर्मल पावर की 200-200 यूनिट की पांचों इकाइयां बंद हैं। बिजली का उत्पादन शून्य है। प्रदेश के 80 फीसदी इलाकों में बिजली आपूर्ति प्रभावित है। लोगों की दिक्कत को दूर कर पाने में एके शर्मा हड़ताल के तीन दिन बाद भी पूरी तरह सफल होते नहीं दिख रहे हैं। फिर भी उन्हें पूरी तरह से फेल नहीं कहा जा सकता है।

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